सरसों की फसल में माहू कीट का प्रकोप सबसे अधिक होता है। सरसों की खेती किए जाने वाले लगभग सभी क्षेत्रों में इस कीट का प्रकोप होता है। समय रहते माहू कीट पर नियंत्रण नहीं किया गया तो 60 प्रतिशत तक फसल नष्ट हो जाती है। आइए सरसों की फसल को क्षति पहुंचाने वाले माहू कीट पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
कैसे करें माहू कीट की पहचान?
माहू आकार में छोटे होते हैं और यह समूह में आक्रमण करते हैं।
कीट का रंग हल्का हरा एवं पीला होता है।
इस कीट लम्बाई 1 से 1.5 मिलीमीटर तक होती है।
माहू कीट सरसों की पत्तियों की निचली सतह एवं फूलों की टहनियों पर पाए जाते हैं।
माहू कीट सरसों की फसल को किस तरह पहुंचाते हैं नुकसान?
शुरुआत में यह कीट पत्तियों का रस चूसते हैं।
प्रभावित पौधों में फूल कम आते हैं।
अगर पौधों में फूल आ गए हैं तो यह कीट फूलों का भी रस चूसने लगते हैं।
कुछ समय बाद यह कीट सरसों की फलियों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
जिससे फलियां एवं दानें नहीं बनते हैं।
माहू का प्रकोप बढ़ने पर पौधों के विकास में बाधा आती है।
माहू कीट पर कैसे करें नियंत्रण?
इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 से 6 पीली स्टिकी ट्रैप लगाएं।
कीट को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पत्तियां, फूल एवं डालियों को तोड़कर नष्ट करें।
माहू पर नियंत्रण के लिए 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात हॉक मिलाकर छिड़काव करें।
प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर Tata Tafgor नामक दवा मिला कर छिड़काव करें।
इसके अलावा 15 लीटर पानी में 2 मिलीलीटर टाटामिडा मिलाकर छिड़काव करें।
आवश्यकता होने पर 8 से 10 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।
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