सर्पगंधा एक महत्वपूर्ण एवं औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है। यह एक बहुवर्षीय फसल है। इससे अनिद्रा, उन्माद, मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप, पेट की कृमि, हिस्टीरिया, आदि रोगों से निजात पाने के लिए दवाएं तैयार की जाती हैं। इन दिनों आयुर्वेदिक एवं हर्बल दवाओं की मांग बढ़ने के कारण सर्पगंधा की मांग में भी बढ़ोतरी हुई है। आइए सर्पगंधा की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
सर्पगंधा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु
इसकी खेती बलुई दोमट मिट्टी, दोमट मिट्टी एवं भारी मिट्टी में भी की जा सकती है।
मिट्टी में पर्याप्त में जीवांश पदार्थ होना चाहिए।
मिट्टी का पी.एच. स्तर 8.5 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
सर्पगंधा की खेती विभिन्न जलवायु में की जा सकती है।
अच्छी पैदावार के लिए गर्म एवं अधिक आर्द्र जलवायु उपयुक्त है।
करीब 10 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है।
खेत तैयार करने की विधि
खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले एक बार गहरी जुताई करें।
गहरी जुताई के बाद प्रति एकड़ भूमि में 4 -5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।
इसके बाद खेत में 2 से 3 बार हल्की जुताई करें और पाटा लगाएं।
इसके बाद खेत में क्यारियां तैयार करें। इससे सिंचाई एवं खरपतवार पर नियंत्रण में आसानी होती है।
सभी क्यारियों के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
मुख्य खेत में पौधों की रोपाई के समय सभी पौधों के बीच 30 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
पौधों की सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण
इसके पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
गर्मी के मौसम में 20 से 25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
ठंड के मौसम आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें।
वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
मिट्टी में नमी की कमी न होने दें। नमी की कमी होने पर पैदावार में भी कमी आती है।
स्वस्थ पौधे एवं अधिक पैदावार के लिए खरपतवारों पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है।
पौधों की रोपाई के 15 से 20 दिनों बाद पहली निराई-गुड़ाई करें।
इसके बाद आवश्यकता के अनुसार खुरपी की सहायता से निराई-गुड़ाई करते रहें।
बीज एवं जड़ प्राप्त करने के लिए क्या करें?
जड़ प्राप्त करने के लिए : यदि जड़ प्राप्त करने के लिए सर्पगंधा की खेती की जा रही है तो पौधों में लगने वाले फूलों को तोड़ कर अलग करें। फूलों से बीज बनते हैं। बीज बनने के कारण जड़ों की पैदावार में कमी आती है।
बीज प्राप्त करने के लिए : बीज प्राप्त करने के लिए कुछ पौधों के फूलों की तुड़ाई करना बंद दें। बीज के पकने पर तुड़ाई करें। बीज एक साथ पक कर तैयार नहीं होते हैं। पकने पर बीज ऊपर से बैंगनी रंग के होते हैं। बीज के अंदर काले रंग का गुदा होता है। पके हुए बीज को पानी से अच्छी तरह साफ कर के गुदा अलग करें और छांव में सूखाएं।
फसल की कटाई एवं पैदावार
पौधों को लगाने के 2 से 3 वर्ष बाद फसल खुदाई के लिए तैयार हो जाती है।
ठण्ड के मौसम में इसकी खुदाई करनी चाहिए।
सामान्यतौर पर फसल की खुदाई दिसंबर महीने में की जाती है। इस समय पौधों में पत्तियां भी कम होती हैं। इसकी जड़ें काफी गहरी होती हैं, इसलिए सावधानीपूर्वक खुदाई करें।
प्रति एकड़ भूमि से करीब 7 से 8 क्विंटल सूखी जड़ें प्राप्त की जा सकती हैं।
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सर्पगंधा की खेती के लिए उपयुक्त समय एवं पौधे तैयार करने की विधि यहां से देखें।
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