सफेद मक्खी यानी व्हाइट फ्लाई का प्रकोप बैंगन, टमाटर, कपास, लौकी, खीरा, मिर्च, आलू, उड़द, मूंग, आदि कई फसलों में होता है। इस कीट के प्रकोप के कारण फसलों की पैदावार में भारी कमी आती है। ऐसे में फसलों को सफेद मक्खियों के प्रकोप से बचाने के लिए इस कीट की पहचान होना बहुत जरूरी है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम सफेद मक्खी की पहचान, प्रकोप के लक्षण एवं नियंत्रण के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
सफेद मक्खी की पहचान
यह मक्खियां पंख वाली सफेद रंग की होती हैं।
आकार में छोटी होने के कारण तेजी से उड़ती हैं।
इन मक्खियों के अंडे सफेद एवं मटमैले रंग के होते हैं।
छोटे कीट पत्तियों की निचली सतह पर समूह में रहते हैं और पत्तियों का रस चूसते हैं।
सफेद मक्खी से होने वाले नुकसान
सफेद मक्खियां पत्तियों का रस चूसती हैं। जिससे पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।
कुछ समय बाद पत्तियां लाल होकर गिरने लगती हैं।
प्रकोप बढ़ने पर पौधों का विकास रुक जाता है।
इसके अलावा सफेद मक्खियां वायरस जनित रोगों को एक पौधे से दूसरे पौधों में फैलाने का काम करती हैं।
सफेद मक्खी पर नियंत्रण के तरीके
सफेद मक्खियों के लिए भूमि में 4 से 6 फेरोमोन ट्रैप लगाएं।
सफेद मक्खियों से निजात पाने के लिए 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात हॉक मिलाकर पौधों के ऊपर छिड़काव करें। (यह मात्रा प्रति एकड़ खेत के अनुसार है।)
इसके अलावा आप प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एससी मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।
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