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सोयाबीन : पीला मोजैक रोग पर नियंत्रण के उपाय
सोयाबीन : पीला मोजैक रोग पर नियंत्रण के उपाय
पीला मोजेक रोग से सोयाबीन के अलावा करेला खीरा, कद्दू, लौकी, सेम, तरबूज, तुरई, आदि फसलें भी प्रभावित होती हैं। यह बहुत तेजी से फैलने वाला एक वायरस जनित रोग है। इस रोग के कारण 4 से 5 दिनों में पूरे खेत की फसल प्रभावित हो सकती है। सही जानकारी नहीं होने पर इस रोग को नियंत्रित करना बहुत कठिन हो जाता है। अगर आप भी कर रहे हैं सोयाबीन की खेती और मोजेक वायरस रोग से हैं परेशान तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। आइए सोयाबीन की फसल में होने वाले मोजेक वायरस रोग पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
पीला मोजेक रोग के लक्षण
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इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों में पीले रंग के छोटे-छोटे धब्बे उभरने लगते हैं।
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कुछ समय बाद धब्बों के आकार में भी वृद्धि होती है।
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यह धब्बे सामान्य तौर पर शिराओं से शुरू होते हैं।
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रोग बढ़ने के साथ पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।
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पौधों के विकास में बाधा आती है।
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पौधों में निकलने वाले पुष्प गुच्छों में बदलने लगते हैं।
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यदि पौधों में फल आ गए हैं तो फलों पर भी हल्के पीले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।
पीला मोजेक रोग पर नियंत्रण के तरीके
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रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को नष्ट कर दें।
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मोजेक वायरस रोग से प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
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रोग की प्रारंभिक अवस्था में प्रति लीटर पानी में 2 से 3 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर छिड़काव करें।
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प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर डाईमेथोएट 30 ई.सी. मिलाकर छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 10 दिनों के बाद दोबारा छिड़काव कर सकते हैं।
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इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 200 एस.एल. मिलाकर भी छिड़काव किया जा सकता है।
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सोयाबीन में पीला मोजेक रोग की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से देहात के कृषि विशेषज्ञों से जुड़कर उचित सलाह लें और समय पर फसल का बचाव करें। साथ ही अपने नज़दीकी देहात केंद्र से उच्च गुणवत्ता के उर्वरक एवं कीटनाशक खरीद जैसी सुविधा का लाभ उठाएं।
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