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सोयाबीन
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
3 year
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सोयाबीन की उन्नत किस्में

सोयाबीन की उन्नत किस्में

सोयाबीन प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। सोयाबीन की खेती मुख्य रूप से मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान , छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में की जाती है। इसके खेती करने से पहले इसकी विभिन्न किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। यहां से आप सोयाबीन की कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

  • जे.एस-335 : बैंगनी फूलों वाली यह प्रजाति 95 से 100 दिन में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर जमीन से करीब 25 – 30 किवंटल फसल प्राप्त होती है।

  • जे.एस. 93-05 : प्रति हेक्टेयर भूमि से 20 से 25 किवंटल बीज की प्राप्ति होती है। लगाने के बाद इसे तैयार होने में 90 से 95 दिन समय लगता है।

  • जे. एस. 95-60 : यह जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में शामिल है। इस किस्म की फसल 80 से 85 दिनों में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर जमीन से 20 से 25 किवंटल बीज की पैदावार होती है।

  • एन.आर.सी-86 : इसके फूल सफेद रंग के होते हैं। इसकी फसल को तैयार होने में 90 से 95 दिन लगता है। प्रति हेक्टेयर भूमि से 20 से 25 किवंटल बीज की उपज होती है।

  • पूसा-16 : इसके दानों का रंग पीला होता है। मुख्यतः इसकी खेती उत्तर प्रदेश में की जाती है। फसल लगभग 110-115 दिनों में तैयार हो जाते हैं। प्रति हेक्टेयर 25-35 क्विंटल फसल प्राप्त होती है।

  • पूसा 20 : अच्छी अंकुरण क्षमता वाली इस किस्म की फसल को तैयार होने में 110-115 दिन लगता है। प्रति हेक्टेयर करीब 30-32 क्विंटल बीज की पैदावार होती है।

  • पी.के. 416 : इसके दाने माध्यम आकर और पीले रंग के होते हैं। अन्य किस्मों की तुलना में इसकी पैदावार अधिक होती है। प्रति हेक्टेयर जमीन से लगभग 30-35 क्विंटल फसल की पैदावार होती है। फसल को तैयार होने में 115-120 दिन समय लगता है।

इसके अलावा पी.एस 1042, एम.ए.यू.एस. 47, एन.आर.सी. 37, जे.एस. 2, पी.के 1024, पी.एस. 564, पी.के. 262 आदि सोयाबीन की कुछ प्रमुख किस्मों में शामिल हैं।

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