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सोयाबीन की फसल में ऐसे करें कीटों पर नियंत्रण
सोयाबीन की फसल में ऐसे करें कीटों पर नियंत्रण
सोयाबीन की फसल में कई तरह के कीटों का प्रकोप होता है। जिनमें तम्बाकू इल्ली, काली भुंडी, सफेद मक्खी, तना छेदक कीट, आदि शामिल है। इन कीटों का प्रकोप होने पर सोयाबीन की फसल को भारी क्षति पहुंचती है। आइए सोयाबीन की खेती में लगने वाले कीटों के प्रकोप का लक्षण एवं नियंत्रण के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
सोयाबीन की फसल को क्षति पहुंचाने वाले कुछ प्रमुख कीट
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तम्बाकू इल्ली : इस कीट रात के समय पौधों पर आक्रमण करते हैं और दिन के समय मिट्टी में चले जाते हैं। यह पत्तियों के हरे पदार्थ को खुरच कर खाते हैं। कीट का प्रकोप बढ़ने पर छोटे-छोटे छेद नजर आने लगते हैं। पत्तियों पर कुछ समय बाद पत्तियां पीली हो कर गिरने लगती हैं। इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 180 मिलीलीटर स्पाइनेटोरम 11.7 एस.सी का छिड़काव करें। यह दवा बाजार में डेलीगेट, लारगो, आदि नाम से उपलब्ध है। इसके अलावा 300 ग्राम थियोडिकार्ब 75 % डबल्यूपी (ब्रांड नाम- लर्विन या केमविन) का भी छिड़काव कर सकते हैं।
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सफेद मक्खी : यह कीट पत्तियों का रस चूसती हैं। जिससे पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं और कुछ समय बाद पत्तियां लाल होकर गिरने लगती हैं। मादा कीट पत्तियों की निचली सतह पर समूह में अंडे देती हैं। इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 4 से 6 फेरोमोन ट्रैप लगाएं। इसके साथ ही प्रति एकड़ खेत में 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात हॉक मिलाकर पौधों के ऊपर छिड़काव करें।
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तना छेदक कीट : यह कीट तने, टहनियां एवं डालियों में छेद कर के अंदर सुरंग बना देते हैं। जिससे पौधे कमजोर हो कर सूखने लगते हैं। इस कीट पर नियंत्रण के लिए 150 मिलीलीटर क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 185 एस.सी का छिड़काव करें।
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काली भुंडी : यह कीट सोयाबीन के फूलों को खाते हैं। इसके साथ ही इस कीट का प्रकोप होने पर फलियों में दाने नहीं बनते हैं। इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 800 ग्राम एसीफेट 75 एस सी का छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 10 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।
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