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सोयाबीन
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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सोयाबीन की फसल को पीला मोजैक रोग से बचाने के तरीके

सोयाबीन की फसल को पीला मोजैक रोग से बचाने के तरीके

पीला मोजैक रोग से सोयाबीन के अलावा करेला खीरा, कद्दू, लौकी, सेम, तरबूज, तुरई, आदि फसलें भी प्रभावित होती हैं। यह बहुत तेजी से फैलने वाला एक वायरस जनित रोग है। इस रोग के कारण 4 से 5 दिनों में पूरे खेत की फसल प्रभावित हो सकती है। सही जानकारी नहीं होने पर इस रोग को नियंत्रित करना बहुत कठिन हो जाता है। अगर आप भी कर रहे हैं सोयाबीन की खेती और मोजैक वायरस रोग से हैं परेशान तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। आइए सोयाबीन की फसल में होने वाले मोजैक वायरस रोग पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

पीला मोजैक रोग के लक्षण

  • इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों में पीले रंग के छोटे-छोटे धब्बे उभरने लगते हैं।

  • कुछ समय बाद धब्बों के आकार में भी वृद्धि होती है।

  • यह धब्बे सामान्यतौर पर शिराओं से शुरू होते हैं।

  • रोग बढ़ने के साथ पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।

  • पौधों के विकास में बाधा आती है।

  • पौधों में निकलने वाले पुष्प गुच्छों में बदलने लगते हैं।

  • यदि पौधों में फल आ गए हैं तो फलों पर भी हल्के पीले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।

पीला मोजैक रोग पर नियंत्रण के तरीके

  • रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को नष्ट कर दें।

  • मोजैक वायरस रोग से प्रतिरोधक किस्मों का चयन करें।

  • रोग की प्रारंभिक अवस्था में प्रति लीटर पानी में 2 से 3 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर छिड़काव करें।

  • प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर डाईमेथोएट 30 ई.सी. मिलाकर छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 10 दिनों के बाद दोबारा छिड़काव कर सकते हैं।

  • इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 200 एस.एल. मिलाकर भी छिड़काव किया जा सकता है।

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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इस जानकारी का लाभ उठाते हुए सोयाबीन की फसल को पीला मोजैक रोग से बचा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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