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सोयाबीन
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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सोयाबीन के लिए खेत की तैयारी एवं बुआई की विधि

सोयाबीन के लिए खेत की तैयारी एवं बुआई की विधि

सोयाबीन खरीफ मौसम की कुछ प्रमुख फसलों में शामिल है। सोयाबीन की गिनती तिलहन फसलों में की जाती है। प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट के साथ इसमें वसा की मात्रा भी होती है। इसकी खेती बीजों की बुआई के द्वारा की जाती है। सोयाबीन की अच्छी फसल के लिए इन बातों का रखें ध्यान।

  • सोयाबीन की खेती के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी और भुरभुरी मिट्टी वाले खेत सर्वोत्तम है।

  • खेत में पानी जमा होने के कारण फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर बुरा असर होता है। इसलिए खेत में जल निकास की व्यवस्था होना जरूरी है।

  • बीजों को बुआई से पहले 2 से 3 बार खेतों की जुताई कर के खेतों को तैयार करें।

  • बुआई से करीब 20 से 25 दिन पहले प्रति हेक्टेयर खेत में 5 से 10 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद मिला दें।

  • इसकी खेती क्यारियों में की जाती है। इसलिए जुताई के बाद खेत में क्यारियां बना लें।

  • कम फैलने वाली किस्मों की खेती के लिए क्यारियों के बीच 30-35 सेंटीमीटर दूरी रखना जरूरी है।

  • अधिक फैलने वाली किस्मों की खेती के लिए क्यारियों के बीच की दूरी करीब 40 से 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए।

  • बुआई के लिए जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक का समय सबसे उपयुक्त है।

  • बीजों की बुआई लगभग 10 से 12 सेंटीमीटर की दूरी पर करनी चाहिए।

  • बीजों को भूमि में करीब 2.5 से 5 सेंटीमीटर की गहराई पर लगाने से जड़ों का अच्छा विकास होता है।

  • प्रति एकड़ भूमि के लिए 25 से 30 किलोग्राम बीजों का प्रयोग करें।

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