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संतरे की खेती प्रमुख बातें
संतरे की खेती प्रमुख बातें
हमारे देश में आम और केला के बाद फलों में सबसे ज्यादा संतरे की खेती की जाती है। इसके फलों को खाने के अलावा इसका उपयोग जूस , जैम और जेली बनाने में भी किया जाता है। भारत में राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में संतरे की मुख्य रूप से खेती की जाती है। संतरे के प्रति पौधे से एक बार में 100 से 150 किलोग्राम फलों की पैदावार होती है।
मिट्टी और जलवायु
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इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली हल्की दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है।
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मिट्टी का पी.एच स्तर 6.5 से 8 के बीच होना चाहिए।
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इसकी खेती के लिए जल भराव वाले खेतों का चयन न करें।
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शुष्क जलवायु में इसकी खेती करने से अच्छी उपज होती है।
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फलों को पकने के लिए गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है।
खेत की तैयारी
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खेत की तैयारी करते समय एक बार गहरी जुताई करने के बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई करें।
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जुताई करने के बाद खेत में पाटा लगा कर खेत को समतल बना लें।
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अब खेत में 1 मीटर चौड़ा और 1 मीटर गहरा गड्ढे तैयार करें।
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सभी गड्ढों को 15 से 18 फिट के अंतराल पर बनाएं।
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कुछ दिन खुला रखने के बाद गड्ढों में सड़ी हुई गोबर की खाद को मिट्टी में मिला कर भरें और सिंचाई करें।
सिंचाई और तुड़ाई
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पौधों की रोपाई के बाद पहली सिंचाई करें।
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गर्मी के मौसम में हफ्ते में 1 बार सिंचाई करें।
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पौधों में फूल निकलने के समय सिंचाई अवश्य करें।
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जब फलों का रंग पीला या नारंगी होने लगे तब उसकी तुड़ाई करें।
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फलों की तुड़ाई जनवरी से मार्च महीने में की जाती है।
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फलों की तुड़ाई डंठल के साथ करें। इससे फलों की भण्डारण क्षमता बढ़ती है।
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