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समेकित कीट : इस तरह करें प्रबंधन
समेकित कीट : इस तरह करें प्रबंधन
सब्जियां, फल एवं अन्य फसलों में कई तरह के कीटों का प्रकोप होता है। जिसका सीधा असर पैदावार एवं फसलों की गुणवत्ता पर होता है। अच्छी पैदावार के लिए विभिन्न कीटों पर नियंत्रण करना आवश्यक है। कई बार सही जानकारी नहीं होने के कारण कीटों पर नियंत्रण करना बहुत कठिन हो जाता है। अगर आप भी करते हैं खेती और फसलों में लगने वाले विभिन्न कीटों के कारण हैं परेशान तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। आइए समेकित कीट प्रबंधन की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
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फल मक्खी : फल मक्खी का प्रकोप होने पर फलों में छेद नजर आने लगते हैं। इस कीट की इल्लियां फलों को अंदर से खा कर नष्ट कर देती हैं। प्रभावित फलों का आकार विकृत हो जाता है। प्रकोप बढ़ने पर फल सड़ने लगते हैं। इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रभावित फलों को तोड़ कर नष्ट कर दें। प्रति एकड़ भूमि में 6 से 8 फेरोमोन ट्रैप लगाएं। प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर मैलाथियान मिला कर छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 8 से 10 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।
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रस चूसक कीट : थ्रिप्स, माइटी, माहु, धौलिया कीट, मोयला, जैसे कीट पौधों का रस चूस कर फसल को क्षति पहुंचाते हैं। प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड मिलाकर छिड़काव करने से माहू कीट पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात हॉक मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।
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लाल मकड़ी : इस कीट का प्रकोप होने पर प्रभावित पौधों के पत्ते पीले हो कर सूखने लगते हैं और पौधों पर सूक्ष्म जाला नजर आने लगता है। फलों पर भूरे रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। प्रभावित फलों की सतह खुरदरी हो जाती है। इस कीट पर जैविक तरीके से नियंत्रण के लिए प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर नीम युक्त कीटनाशक जैसे निम्बेसिडिन या नीमोल नीमगोल्ड मिला कर छिड़काव करें। इसके अलावा 3 प्रतिशत नीम के तेल का छिड़काव करें।
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