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शलजम : करें इन किस्मों की खेती, होगी अधिक पैदावार
शलजम : करें इन किस्मों की खेती, होगी अधिक पैदावार
शलजम ठंड के मौसम में खेती की जाने वाली कुछ प्रमुख सब्जियों में शामिल है। इसकी खेती वर्षा ऋतु में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है। यह एक जड़ वाली फसल है। इसका उपयोग सलाद के तौर पर सबसे अधिक किया जाता है। इसके अलावा इसकी सब्जियां भी बनाई जाती हैं। शलजम में एंटी-ऑक्सीडेंट, विटामिन सी, मिनिरल, फाइबर, आदि कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होने के कारण ठंड के मौसम में इसकी मांग बढ़ने लगती है। इसकी खेती करके आप भी कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। शलजम की खेती करने से पहले इसकी उन्नत किस्में एवं उनकी विशेषताओं की जानकारी होना आवश्यक है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम शलजम की कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी प्राप्त करें।
शलजम की कुछ उन्नत किस्में
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सफेद 4 : वर्षा के मौसम में खेती करने के लिए यह उपयुक्त किस्म है। यह जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में शामिल है। कंद का रंग बर्फ की तरह सफेद होता है। फसल को तैयार होने में 50 से 55 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ खेत में खेती करने पर करीब 80 क्विंटल तक पैदावार होती है।
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लाल 4 : ठंड के मौसम में खेती करने के लिए यह उपयुक्त किसमें है। इसके कंद मध्यम आकार के एवं गोल होते हैं। फसल को तैयार होने में 60 से 70 दिनों का समय लगता है।
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पूसा स्वेती : अगेती बुवाई के लिए यह उपयुक्त किस्म है। इसकी बुवाई अगस्त-सितंबर महीने में की जाती है। इस किस्म के कंद सफेद रंग के एवं चमकदार होते हैं। बुवाई के करीब 40 से 45 दिनों बाद फसल तैयार हो जाती है।
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पूसा चंद्रिमा : इस किस्म की फसल को तैयार होने में 55 से 60 दिनों का समय लगता है। इस किस्म के कंद आकार में गोल एवं खाने में स्वादिष्ट होते हैं। यह अधिक उपज देने वाली किस्मों में शामिल है। प्रति एकड़ भूमि से 80 से 100 क्विंटल तक पैदावार होती है।
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पूसा कंचन : इस किस्म के कंद मीठे एवं सुगंधित होते हैं। कंद ऊपर से लाल रंग के होते हैं और अंदर का गूदा पीले रंग का होता है। यह जल्दी तैयार होने वाली अगेती किस्म है।
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पर्पल टॉप : इसके कंद बड़े आकार के होते हैं। कंद का ऊपरी भाग बैंगनी रंग का एवं गुदा सफेद होता है। इस किस्म के कंद ठोस एवं ऊपर से चिकने होते हैं। यह अधिक उपज देने वाली किस्मों में शामिल है।
इन किस्मों के अलावा शलजम की कई अन्य किस्मों की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। जिनमें पूसा स्वर्णिमा, स्नोबॉल आदि किस्में शामिल हैं।
हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो हमारे पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इस जानकारी का लाभ उठाते हुए इन किस्मों की खेती कर शलजम की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। अपने आने वाले पोस्ट में हम शलजम की खेती से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां साझा करेंगे। तब तक पशुपालन एवं कृषि संबंधी अन्य रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
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