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शकरकंद
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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शकरकंद की इन किस्मों की खेती से होगी बम्पर कमाई

शकरकंद की इन किस्मों की खेती से होगी बम्पर कमाई

शकरकंद को स्वीट पोटैटो के नाम से भी जाना जाता है। कुछ स्थानीय क्षेत्रों में इसे मीठा आलू भी कहते हैं। इसका उपयोग सब्जी की तरह किया जाता है। इसके साथ ही इसे उबाल कर या भून कर भी खाया जाता है। इसकी खेती आलू की तरह की जाती है। कई पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण यह हमारे स्वास्थ्य के लिए तो फायदेमंद भी है। इसकी खेती से पहले इसकी कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए शकरकंद की कुछ उन्नत किस्मों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

शकरकंद की उन्नत किस्में

  • भू सोना : यह शकरकंद की पीली किस्मों में शामिल है। इस किस्म के कंद के छिलके एवं गुदा दोनों का रंग पीले रंग का होता है। दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में इसकी खेती बड़े स्तर पर की जाती है। इस किस्म में करीब 14 प्रतिशत बीटा कैरोटिन की मात्रा पाई जाती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 8 टन तक पैदावार होती है।

  • गौरी : इसकी खेती रबी एवं खरीफ दोनों मौसम में की जा सकती है। इस किस्म के कंद बाहर से लाल-बैंगनी रंग के होते हैं। अंदर का गुदा पीले रंग का होता है। कंदों में भरपूर मात्रा में बीटा कैरोटीन पाई जाती है। रोपाई के करीब 110 से 115 दिनों बाद फसल खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 8 टन तक कंदों की पैदावार होती है।

  • भू कृष्णा : इस किस्म को केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान, तिरुवनंतपुरम के द्वारा तैयार किया गया है। इस किस्म के कंद बाहर से पीले मटियाल रंग के नजर आते हैं। अंदर का गुदा लाल रंग का होता है। दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में इसकी प्रमुखता से खेती की जाती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती पर 7.2 टन तक पैदावार होती है।

  • पूसा सफेद : इस किस्म के कंद बाहर से पीले मटियाले रंग के होते हैं। कंदों का गुदा सफेद रंग का होता है। रोपाई के करीब 110 से 120 दिनों बाद फसल की खुदाई की जा सकती है। यह अधिक पैदावार देने वाली किस्मों में से एक है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 10 से 12 टन तक कंदों की उपज होती है।

इन किस्मों के अलावा हमारे देश में शकरकंद की कई अन्य किस्मों की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। जिनमें श्री अरुण, पंजाब मीठा आलू 21, एस टी 13, एस टी 14, राजेंद्र शकरकंद, कलमेघ, पूसा सुहावनी, श्री नंदिनी, पूसा रेड, श्री रतना, जवाहर शकरकंद- 145, एच- 268, श्री वरुण, वर्षा, एच- 41, भुवन संकर, आदि किस्में शामिल हैं।

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक  किसानों तक यह जानकारी पहुंच सके। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। अपने आने वाले पोस्ट में हम शकरकंद की खेती पर कुछ अन्य जानकारियां साझा करेंगे। तब तक पशु पालन एवं कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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