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सहजन
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
3 year
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सहजन की खेती

सहजन की खेती

सहजन को सहजना, सेंजन, सोजाना, मोरिंगा, ड्रमस्टिक आदि कई नामों से जाना जाता है। इसकी फलयों का सबसे अधिक प्रयोग सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। फलियों के अलावा दक्षिणी भारत , श्रीलंका, कम्बोडिया आदि में इसकी पत्तियों और फूलों को भी खाया जाता है। कई पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण इसका उपयोग जड़ी -बूटियों के तौर पर भी किया जाता है। चलिए जानते हैं इसकी खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

मिट्टी एवं जलवायु

  • इसकी खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन इसके लिए बलुई मिट्टी सबसे बेहतर है।

  • सूखे की स्थिति में या कम पानी मिलने पर भी इसके पौधों को अधिक नुकसान नहीं होता है।

  • कम गुणवत्ता वाली मिट्टी में भी सरलता से इसकी खेती की जा सकती है।

  • करीब 25 से 30 डिग्री तापमान में फूल बेहतर खिलते हैं।

खेत की तैयारी और पौध रोपण

  • सबसे पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करें।

  • इसके बाद खेत में 50 सेंटीमीटर गहरा और 50 सेंटीमीटर चौड़ा गड्ढा तैयार करें।

  • कम्पोस्ट खाद या गोबर की खाद को मिट्टी में मिला कर गड्ढों को भरें।

  • इन गड्ढों में नर्सरी में तैयार किए गए पौधों को लगाएं।

  • सभी पौधों के बीच 3 मीटर की दूरी रखें।

  • खेत में जल जमाव न होने दें।

सिंचाई एवं कटाई

  • इसके पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है।

  • पौध रोपण के समय पहली सिंचाई करें।

  • पहली सिंचाई के एक सप्ताह बाद दूसरी सिंचाई करें।

  • इसके बाद हर 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई कर सकते हैं।

  • फलियों की तुड़ाई के बाद पौधों की कटाई कर सकते हैं।

  • पौधों की कटाई के लिए ठंड का मौसम बेहतर होता है।

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