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सहजन : अधिक पैदावार के लिए करें इन किस्मों की खेती
सहजन : अधिक पैदावार के लिए करें इन किस्मों की खेती
विटामिन, मिनरल, आयरन, आदि कई पोषक तत्वों से भरपूर सहजन हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। इसकी खेती किसानों के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित होती है। सहजन की खेती करने वाले किसान इसकी फलियों की बिक्री के अलावा इसकी पत्तियों एवं पेड़ की छाल की बिक्री करके भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी पत्तियों का प्रयोग पशुओं के चारे के तौर पर भी किया जाता है। पशुओं के आहार में सहजन की पत्तियां शामिल करने से दुग्ध उत्पादन एवं पशुओं के वजन में वृद्धि होती है। सहजन के बीज, गोंद एवं जड़ों से भी कई आयुर्वेदिक दवाएं भी तैयार की जाती हैं। इसलिए इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। सहजन की खेती से पहले इस की उन्नत किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम सहजन की कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी प्राप्त करें।
सहजन की कुछ उन्नत किस्में
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जाफना मोरिंगा : इस किस्म की फलियों की लंबाई 60 से 90 सेंटीमीटर होती है। फलियां मुलायम एवं हरे रंग की होती हैं। प्रति वर्ष एक वृक्ष से 350 से 400 फलियां प्राप्त होती हैं।
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चैवाकाचेरी मुरिंगा : इसकी फलियों की लंबाई 90 से 100 सेंटीमीटर होती है। इसकी फलियों में गुदा अधिक होता है। इस किस्म की फलियां अचार बनाने के लिए उपयुक्त है।
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धनराज : इस किस्म की खेती बीज के द्वारा की जाती है। इस किस्म की फलियां लंबी एवं हरे रंग की होती हैं। प्रत्येक वर्ष एक वृक्ष से 400 से 600 फलियां प्राप्त होती हैं। इसकी फलियों का अचार बनाने में अधिक उपयोग किया जाता है।
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रोहित 1 : इस किस्म के पौधों की रोपाई के करीब 5 से 6 महीने बाद ही पैदावार प्राप्त होना शुरू हो जाता है। एक वर्ष में 2 बार फलियों की उपज होती है। पौधों को लगाने के 8 से 10 वर्षों तक पैदावार मिलती है। इस किस्म की फलियां हरे रंग की एवं 40 से 60 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। फलियों का गुदा स्वादिष्ट एवं मुलायम होता है। एक वृक्ष से 40 से 125 फलियां प्राप्त होती हैं।
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