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शिमला मिर्च की खेती का उपयुक्त समय एवं बीज उपचार की विधि
शिमला मिर्च की खेती का उपयुक्त समय एवं बीज उपचार की विधि
विटामिन ए एवं विटामिन सी से भरपूर शिमला मिर्च को बेल पेपर, स्वीट पेपर, ग्रीन पेपर, कैप्सिकम आदि कई नामों से जाना जाता है। कम लागत में भी इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। उन्नत किस्मों का चयन करने पर प्रति एकड़ खेत से 30 से 50 क्विंटल तक फसल की पैदावार होती है। शिमला मिर्च की व्यावसायिक खेती करने वाले किसान 2 से 4 महीनों में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आइए शिमला मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त समय एवं बुवाई की विधि पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
शिमला मिर्च की खेती का उपयुक्त समय
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इसकी खेती वर्ष में तीन से चार बार सफलतापूर्वक की जा सकती है।
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उत्तर भारतीय क्षेत्रों में इसकी बुवाई फरवरी-मार्च महीने में की जाती है।
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खरीफ मौसम में इसकी बुवाई जून-जुलाई महीने में की जाती है।
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रबी मौसम में नवंबर-दिसंबर महीने में इसकी बुवाई की जा सकती है।
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पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुवाई के लिए मार्च-अप्रैल का महीना सर्वोत्तम है।
बीज उपचारित करने की विधि एवं बुवाई का तरीका
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बुवाई से पहले बीज उपचारित करना आवश्यक है। इससे पौधों को कई हानिकारक रोग एवं कीटों से बचाया जा सकता है।
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बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम से उपचारित करें।
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इसके अलावा आप प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम बाविस्टिन से भी उपचारित कर सकते हैं।
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बीज की बुवाई कतार में करनी चाहिए।
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सभी कतारों के बीच 10 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
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बीज की बुवाई 1 से 2 सेंटीमीटर की गहराई में करें।
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बुवाई के बाद बीज को गोबर की खाद एवं मिट्टी से ढकें।
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बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। हल्की सिंचाई करने से अंकुरण में आसानी होती है।
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