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सेम की फसल में पीला मोजेक वाइरस रोग
सेम की फसल में पीला मोजेक वाइरस रोग
सेम की फसल में लगने वाले रोगों में से एक है पीला मोजेक वायरस रोग। सेम के अलावा इस रोग से उड़द, सोयाबीन, मूंग, मिर्च, अरहर, मूंगफली आदि कई फसलें प्रभावित होती हैं। इस रोग के होने पर फसलों की पैदावार में भारी कमी आ जाती है। बहुत तेजी से फैलने वाला यह रोग 3 से 4 दिनों के अंदर पूरे खेत में फैल सकता है। अगर आप अभी तक अनजान हैं इस रोग के लक्षण से तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। यहां से आप रोग के लक्षण के साथ बचाव के उपाय भी जान सकते हैं।
रोग का कारण
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यह विषाणु जनित रोग है।
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सफेद मक्खियां एवं अन्य कीट इस रोग को बढ़ाने का काम करते हैं।
रोग का लक्षण
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इस रोग का लक्षण पत्तियों पर सबसे अधिक देखने को मिलता है।
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रोग से प्रभावित पत्तियों की नसें साफ दिखने लगती हैं।
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पत्तियों पर हल्के हरे एवं पीले रंग के धब्बे नजर आते हैं।
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रोग बढ़ने पर पूरे पौधे पीले हो जाते हैं।
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पौधों का विकास रुक जाता है।
बचाव के उपाय
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इस रोग से बचने के लिए रोग रहित स्वस्थ बीज का चयन करें।
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जिस खेत में इस रोग का प्रकोप देखा गया है वहां खेती करने से बचें।
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सफेद मक्खियों के प्रकोप से बचने के लिए खेत के चारों तरफ मक्का, ज्वार और बाजरा लगाएं।
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रोग की प्रारंभिक अवस्था में प्रति लीटर पानी में 2 से 3 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर छिड़काव करें।
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प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर डाईमेथोएट 30 ईसी मिलाकर छिड़काव करें।
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इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 200 एस.एल मिलाकर छिड़काव करने से भी इस रोग से निजात पा सकते हैं।
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