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सेब में स्कैब रोग का खतरा एवं बचाव के उपाय
सेब में स्कैब रोग का खतरा एवं बचाव के उपाय
इन दिनों सेब के बगानों में स्कैब रोग यानि पपड़ी रोग फैलने से सेब की खेती करने वाले किसानों की परेशानी बढ़ गई है। बागबानी विशेषज्ञों के अनुसार कीटनाशकों के छिड़काव में देर करना इस रोग के होने का मुख्य कारण है। वर्षा ऋतू के शुरुआत के साथ ही हवा में नमी की मात्रा बढ़ी है। मौसम में परिवर्तन और हवा में अत्यधिक नमी होने के कारण यह रोग तेजी से फैलता जा रहा है। इस बीमारी से पौधे कमजोर हो रहे हैं और पत्तियां एवं फलों को बहुत नुकसान हो रहा है।
रोग के लक्षण :
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शुरुआत में पत्तियों पर छोटे - छोटे धब्बे बनने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ इन धब्बों के रंग में परिवर्तन होता है और धब्बे भूरे या काले रंग के दिखने लगते हैं। रोग से प्रभावित पत्तियों का आकार भी टेढ़ा -मेढ़ा हो जाता है और पत्तियां झड़ने लगती हैं।
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फलों पर भी इसका बहुत प्रभाव होता है। सेब के फलों का आकार टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है और फलों का विकास रुक जाता है। फलों पर काले -भूरे रंग के उभरे हुए सख्त धब्बे बन जाते हैं। कई बार इस रोग के कारण फल फटने भी लगते हैं।
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पपड़ी रोग अगर टहनियों तक फैल गई तो पौधों की टहनियों पर फफोले बन जाते हैं और टहनियां कमजोर हो कर टूटने लगती हैं।
रोकथाम के उपाय :
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स्कैब रोग से बचने के लिए जब सेब अखरोट के आकार हो तब 200 लीटर पानी में 600 ग्राम मैंकोजेब मिला कर छिड़काव करें।
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इस रोग से छुटकारा पाने के लिए 200 लीटर पानी में 600 ग्राम प्रोपिनेब 0.3% का छिड़काव करें।
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यदि प्रोपिनेब 0.3% उपलब्ध न हो तो आप 200 लीटर पानी में 150 ग्राम डोडिन 0.075% का भी छिड़काव कर सकते हैं।
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पत्तियों के असमय झड़ने की समस्या के लिए 500 मिलीलीटर पानी में टेबुकोनाजोल 8% और कैपटान 32% मिला कर छिड़काव करें।
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