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संरक्षित खेती : उच्च गुणवत्ता की फसल से दोगुनी होगी आय

संरक्षित खेती : उच्च गुणवत्ता की फसल से दोगुनी होगी आय

संरक्षित खेती में फसलों को मौसम की मार, रोग एवं कीटों के साथ खरपतवारों एवं पशुओं से संरक्षित कर के यानी बचा कर खेती की जाती है। इसमें पॉलीहाउस, ग्रीनहाउस, प्लास्टिक मल्चिंग, पुवाल एवं सूखे खरपतवारों से मल्चिंग, आदि पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस तरह की खेती में शुरुआत में लागत अधिक आती है लेकिन बाद में मुनाफा भी अधिक होता है। कई क्षेत्रों में पॉलीहाउस एवं ग्रीनहाउस के निर्माण के लिए सब्सिडी भी दी जाती है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम संरक्षित खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

क्या है संरक्षित खेती?

  • संरक्षित खेती में पॉलीहाउस, ग्रीनहाउस आदि में पौधों के अनुकूल वातावरण तैयार कर के फसलों की खेती की जाती है।

  • संरक्षित खेती में विपरीत मौसम जैसे पाला, कोहरा, ओला, वर्षा, ठंडी एवं गर्म हवाओं से पौधों का बचाव होता है।

  • खरपतवारों की रोकथाम के लिए भूमि की सतह पर धान की पुआल से मल्चिंग की जाती है। पशु धान की पुआल नहीं खाते हैं। जिससे पैधों का भी बचाव होता है।

संरक्षित खेती के फायदे

  • फसलों में रोग एवं कीटों का प्रकोप कम हो जाता है।

  • जंगली जानवर एवं अन्य पशुओं से फसलों की रक्षा होती है।

  • वातावरण को नियंत्रण कर के सभी मौसम में सब्जियों की खेती की जा सकती है।

  • सिंचाई के समय पानी की बचत होती है।

  • फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है।

  • उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त होती है।

  • फूलों एवं सब्जियों की नर्सरी तैयार कर के पौधों की बिक्री भी कर सकते हैं।

  • बाजार मांग एवं अपनी पसंद के अनुसार सब्जियों एवं फसलों का चयन कर सकते हैं।

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