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सरसों
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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रस चूसक कीटों का बढ़ा प्रकोप, पौधों के विकास में आ रही है बाधा

रस चूसक कीटों का बढ़ा प्रकोप, पौधों के विकास में आ रही है बाधा

सरसों की फसल को बड़े पैमाने में क्षति पहुंचाने वाले कीटों में माहू की गिनती प्रमुखता से की जाती है। कुछ क्षेत्रों में इसे लाही के नाम से भी जाना जाता है। पौधों के विभिन्न हिस्सों का रस चूसने वाले इस कीट की पहचान की बात करें तो 1 से 1.5 मिलीमीटर लम्बाई वाले यह कीट हरे से भूरे रंग के होते हैं। वैसे तो माहू आकार में बहुत छोटे होते हैं लेकिन समूह में होने के कारण यह फसल को बहुत कम समय में ही अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस कीट के नियंत्रण पर लापरवाही करने पर देखते ही देखते 60 प्रतिशत तक फसल नष्ट हो सकती है।

माहू के प्रकोप से होने वाले नुकसान

  • यह कीट सरसों के फूलों एवं कोमल फलियों का रस चूसते हैं।

  • इस कीट का प्रकोप होने पर पौधों में फूलों की संख्या में कमी आती है।

  • पौधों में फलियां आने के बाद यह कीट फलियों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे फलियों में दाने नहीं बन पाते हैं।

  • इस कीट का प्रकोप बढ़ने पर पौधों के विकास में भी बाधा आती है।

माहू पर कैसे करें नियंत्रण?

  • माहू पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 5 से 6 पीली स्टिकी ट्रैप लगाएं।

  • प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर डाईमेथोएट 30%  ई सी मिलाकर फसल पर छिड़काव करने से इस कीट पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।

  • इसके अलावा 1 ग्राम थियामेथोक्साम 25% डब्लू जी प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पे छिड़काव करने से भी इस कीट पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।

  • आवश्यकता होने पर 8 से 10 दिनों के अंतराल पर दूसरी बार छिड़काव कर सकते हैं।

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एफिड पर नियंत्रण के लिए कारगर दवा 'देहात हॉक' को आप अपने नजदीकी देहात केंद्र से या हाइपरलोकल सुविधा के द्वारा खरीद सकते हैं। सरसों की खेती की अधिक जानकारी के लिए आप टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर संपर्क करके कृषि विशेषज्ञों से सलाह ले सकते हैं। आप अपने सवाल कमेंट के माध्यम से भी पूछ सकते हैं। साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करना न भूलें।


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