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रजनीगंधा की खेती के लिए इस तरह करें कंदों का चयन एवं उपचार
रजनीगंधा की खेती के लिए इस तरह करें कंदों का चयन एवं उपचार
अपनी मनमोहक खुशबू से सभी को अपनी तरफ आकर्षित करने के कारण रजनीगंधा की मांग बढ़ती जा रही है। इसकी खेती करने से पहले कंदों का चयन, कंदों को उपचारित करने का सही तरीका एवं कंदों की रोपाई का सही तरीके की जानकारी होना आवश्यक है। आइए इस विषय पर थोड़ी विस्तार से चर्चा करें।
कंदों का चयन करने का सही तरीका
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रोपाई के लिए ताजे कंदों का चयन नहीं करना चाहिए।
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ताजे खुदे हुए कंदों की तुरंत रोपाई करें और लगभग 1 महीने तक भंडारित करें। इसके बाद मुख्य खेत में इसकी रोपाई की जा सकती है।
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रोपाई के लिए 2 से 3 सेंटीमीटर व्यास एवं 20 से 30 ग्राम वजन वाले कंदों का चयन करें।
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बड़े आकार के कंदों को अंकुरित होने में अधिक समय लगता है। हालांकि बड़े आकार के कंदों की वृद्धि अच्छी होती है और पौधों में फूल भी जल्दी निकलते हैं।
कंद उपचारित करने की विधि
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रोपाई के लिए चयनित बीज की अच्छी तरह सफाई करें।
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इसके बाद 100 लीटर पानी में 25 ग्राम बाविस्टिन मिला कर घोल तैयार करें।
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इस घोल में कंदों को 15 मिनट तक डाल कर रखें। फिर छांव वाली जगह में सुखाएं।
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प्रति किलोग्राम कंद को 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी से भी उपचारित कर सकते हैं।
कैसे करें कंदों की रोपाई?
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कंदों के बीच की दूरी पौधों की किस्मों एवं मिट्टी के अनुसार तय की जाती है।
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सामान्य तौर पर कंदों के बीच 20 सेंटीमीटर दूरी रखी जाती है।
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वहीं यदि आप 30 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करेंगे तो आपको उच्च गुणवत्ता की पुष्प डंडियां प्राप्त होंगी।
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प्रत्येक कतारों के बीच 10 से 15 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
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एक स्थान पर 1 कंद की ही रोपाई करें।
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यदि कंद आकार में छोटे हैं तब एक स्थान पर 2 कंदों की रोपाई की जा सकती है।
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रजनीगंधा की अच्छी पैदावार के लिए खेत तैयार की विधि की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
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