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रेशम कीट पालन
कल्पना
कृषि विशेषयज्ञ
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रेशम कीट पालन : रोजगार का एक बेहतर विकल्प

रेशम कीट पालन : रोजगार का एक बेहतर विकल्प

रेशम कीट पालन को सेरीकल्चर भी कहा जाता है। सेरीकल्चर में कच्चे रेशम के उत्पादन के लिए रेशम कीटों का पालन किया जाता है। कृषि आधारित इस उद्योग में बहुत कम खर्च होता है। ग्रामीण क्षेत्र के किसानों के लिए यह रोजगार का एक अच्छा स्त्रोत है। भारतीय बाजार में रेशम की मांग बहुत अधिक है।

हमारा देश रेशम का बड़ा उत्पादक तो है ही इसके साथ यह 5 किस्म के रेशम का उत्पादन करने वाला एकमात्र देश है। यह पांच किस्में मलबरी, टसर, ओक टसर, एरी एवं मूंगा रेशम है। मूंगा रेशम कृषि क्षेत्र का एकमात्र नकदी फसल है, जिससे 30 दिनों के अंदर किसानों को लाभ मिलना शुरू हो जाता है। आइए रेशम कीट पालन एवं रेशम उत्पादन की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

क्या है रेशम कीट पालन?

  • इस विधि के द्वारा रेशम कीटों का पालन किया जाता है। यह कीट कच्चे धागे का उत्पादन करते हैं जिसे रेशम कहा जाता है। इससे कपड़े एवं अन्य सजावटी सामान तैयार किए जाते हैं।

रेशम कीट पालन के फायदे

  • रेशम कीट पालन से कम समय में अधिक आय की प्राप्ति होती है।

  • ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह आय का एक अच्छा स्त्रोत है।

  • इस क्षेत्र में रोजगार की पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं।

  • महिलाएं भी इस व्यवसाय से जुड़कर अपनी आय में वृद्धि कर सकती हैं।

भारत के किन राज्यों में होता है रेशम का उत्पादन?

  • हमारे देश के कई राज्यों में रेशम कीट का पालन करके रेशम का उत्पादन किया जाता है। जिनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल शामिल है।

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। अपने आने वाले पोस्ट में हम रेशम कीट पालन की शुरुआत से जुड़ी जानकारी साझा करेंगे। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य मित्रों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक व्यक्तियों तक यह जानकारी पहुंच सके। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। पशुपालन एवं कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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