रेशम कीट पालन ग्रामीण क्षेत्र के व्यक्तियों के लिए व्यवसाय का एक बेहतर विकल्प है। रेशम कीट पालन बहुत कम खर्च में होने वाला कृषि आधारित उद्योग है। इसलिए छोटे किसान भी इस व्यापर से जुड़ कर अपनी आमदनी में आसानी से वृद्धि कर सकते हैं। अगर आप भी शुरू करना चाहते हैं रेशम कीट पालन का व्यवसाय तो इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत होना आवश्यक है। आइए 'रेशम कीट पालन - खेती से व्यापार तक की जानकारी' पर विस्तार से चर्चा करें।
रेशम की किस्में
भारत 5 किस्म के रेशम का उत्पादन करने वाला एकमात्र देश है।
हमारे देश में मलबरी, टसर, ओक टसर, एरी एवं मूंगा रेशम की खेती की जाती है।
रेशम कीट पालन में रोजगार के अवसर
रेशम कीट पालन उद्योग में कई गतिविधियां शामिल हैं।
इस उद्योग के अंर्तगत कीट के आहार के लिए वृक्षों की खेती, कीट पालन, ककून से रेशम निकलना, रेशम की सफाई करना, सूत काटना, सूत से कपड़े का निर्माण के द्वारा रोजगार के अवसर को बढ़ाया जा सकता है।
रेशम कीट पालन की शुरुआत
वृक्षों की खेती
सबसे पहले कीट के आहार के लिए वृक्षों की खेती करनी होती है।
शहतूती रेशम के लिए शहतूत के पौधों की खेती करनी होती है।
वहीं गैर शहतूती रेशम के उत्पादन के लिए पलाश, गूलर, आदि वृक्षों की खेती की जाती है।
रेशम कीट का पालन
अंडों से 10 दिनों के बाद लार्वा निकलने लगते हैं।
आप अपने नजदीकी कृषि केंद्रों से रेशम कीट का लार्वा खरीद सकते हैं।
यदि आप 10 दिन के रेशम कीट खरीदते हैं तो आपको 20 दिनों तक रेशम कीट का पालन करना होता है।
इसके बाद कीट खाना बंद कर देते हैं और रेशम का उत्पादन करना शुरू कर देते हैं।
लार्वा को खाने के लिए पत्तियां दी जाती हैं।
करीब 4 से 10 दिनों के अंदर लार्वा अपने मुंह से प्रोटीन का स्राव करता है।
यह प्रोटीन हवा की संपर्क में आने पर कठोर हो कर धागे की तरह हो जाता है।
लार्वा कीट अपने शरीर के चारों तरफ रेशमी धागों से एक गोला बनाते हैं। इस गोले को ककून कहा जाता है।
ककून के निर्माण के बाद कीट खुद को इसके अंदर बंद कर लेते हैं।
ककून की छंटाई
ककून से रेशम निकालने से पहले ककून की छंटाई की जाती है।
छंटाई के समय खराब एवं डबल ककून, मटमैला ककून, पिघला हुआ ककून, संक्रमित ककून एवं विकृत ककून को अलग किया जाता है।
ककून से रेशम प्राप्त करने की विधि
रेशम प्राप्त करने के लिए ककून को गर्म पानी में डाल दिया जाता है।
गर्म पानी में डालने के बाद कीट मर जाते हैं और बचे हुए ककून से हम रेशम का निर्माण कर सकते हैं।
बेहतर गुणवत्ता के रेशम प्राप्त करने के लिए ककून को गर्म हवा में सुखाना चाहिए। ऐसा करने से प्यूपा मर जाता है और ककून शैल की परतों को अलग करने में आसानी होती है।
ककून के एक गोले से 500 से 1,300 मीटर लम्बा रेशम का धागा प्राप्त होता है।
व्यापार
रेशम के धागों से सूत तैयार किया जाता है।
बाजार में रेशम के सूत की कीमत अधिक होती है।
आप चाहें तो सूत से कपड़े का निर्माण कर के कपड़ों का व्यापार भी शुरू कर सकते हैं।
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