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रबी मौसम की फसल के लिए नवंबर अंत तक पूरी कर दें प्याज की बुवाई
रबी मौसम की फसल के लिए नवंबर अंत तक पूरी कर दें प्याज की बुवाई
रोपाई विधि से तैयार की गई प्याज़ की फ़सल सिंचित क्षेत्रों में उगाए जाने वाले सबसे सामान्य एवं प्रचलित तरीकों में से एक है। मैदानी इलाकों में प्याज की बुवाई अक्टूबर से नवम्बर के महीने में की जाती है। मैदानी इलाकों में प्याज़ एक प्रमुख रबी फसलों में से एक है, वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च से जून के महीने तक चलती है। प्याज़ की खेती पीली मिट्टी, दोमट मिट्टी जिसमें जल निकासी की व्यवस्था हो वहां पर उन्नत तरीके से की जा सकती है। हालांकि मिट्टी में अधिक अम्लीयता या क्षारीयता होने जैसी बातों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है।
प्याज की बुवाई का सही तरीका
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खेत में बीज की बुवाई 3 से 4 किलो प्रति एकड़ की दर से की जाती है।
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प्याज़ के बीजों को सबसे पहले आने वाले फफूंदजनित रोगों से सुरक्षित रखने के लिए कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज केअनुसार ही उपचार करके ही नर्सरी में बोएं।
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नर्सरी बेड की चौड़ाई 90 से120 सेंटीमीटर एवं उंचाई 7.5 से 10 सेंटीमीटर तक रखें।
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लगभग 6 से 8 हफ्ते के बाद जब अंकुर 15 सेंटीमीटर ऊंचाई के हो जाएं, तो वे मुख्य खेत में प्रत्यारोपण के लिए तैयार हो जाते हैं।
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रोपाई के लिए भूमि को अच्छी तरह से जुताई एवं ढेले तोड़कर समतल कर लें।
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खेत की सिंचाई प्रभावित एवं सुविधाजनक रूप में करने के लिए उसे छोटे-छोटे आकार के भू-खण्डों में विभाजित कर लें।
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अंकुर को 15 सेंटीमीटर की लंबाई एवं 8 से 10 सेंटीमीटर चौड़ाई के अनुरूप रोपण किया जाता है।
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प्याज एक संवेदनशील फसल है, जिसके कारण समय-समय पर फसल में उर्वरक की आवश्यकता पड़ती रहती है। ऐसे में जरूरी है कि आप किसान नर्सरी से ही पौधों की प्रतिरोधक क्षमता एवं पौधों में पोषण के अवशोषण की क्षमता बढ़ाने वाले उत्पादों का प्रयोग करें। प्याज की फसल में अच्छी वृद्धि एवं बेहतरीन फसल प्राप्त करने के लिए आप किसान नर्सरी अवस्था में देहात स्टार्टर का प्रयोग कर सकते हैं। उत्पाद एवं फसल से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से कृषि विशेषज्ञ से जुड़कर प्राप्त कर सकते हैं।
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