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कृषक समाचार
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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रंगों के इस त्योहार पर अच्छी फसल की शुभकामनाएं

रंगों के इस त्योहार पर अच्छी फसल की शुभकामनाएं

होली वसंत ऋतु की गौर पूर्णिमा को मनाया जाने वाला एक पवन पर्व है। छोटे बच्चे हो या व्यस्क, सभी इस त्योहार को बड़े धूहानिकारक रसायनोंमधाम से मनाते हैं। भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में इस त्योहार को ले कर विशेष तैयारियां की जाती हैं। होली से एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक है। होलिका दहन के पीछे होलिका एवं प्रहलाद से जुड़ी सदियों पुरानी मान्यता चली आ रही है। हालांकि होलिका दहन एवं रंगों से भरा होली का त्योहार, किसानों के बिना अधूरा सा है। होलिका दहन की पूजा में किसानों के द्वारा उगाए गए फूल, कपास, हल्दी, मूंग, नारियल, अक्षत (चावल) के साथ गेहूं जैसी कोई नई फसल की आवश्यकता होती है। इन सभी के बिना होलिका की पूजा पूरी नहीं होती। इसलिए कई क्षेत्रों में इस त्योहार को वसंत उत्सव के तैर पर मनाया जाता है। कुछ दशक पहले होली के लिए रंग भी हल्दी, चुकंदर, चंदन, पलाश, टेसू, गेंदा, अड़हुल, आदि से तैयार किया जाता था। लेकिन अब इनकी जगह हानिकारक रसायनों का प्रयोग किया जाता है। हमारे स्वास्थ्य एवं वातावरण पर होने वाले कुप्रभाव को ध्यान में रखते हुए हमें एक बार फिर फूल एवं अन्य सब्जियों से तैयार किए गए रंगों का प्रयोग करना चाहिए।

आइए इस वर्ष हम सब इको-फ्रेंडली होली मनाने का संकल्प ले। रंगों से भरे इस त्योहार पर हम खेत में लहराते फसलों की खुशियां मनाएं। देहात की तरफ से आप सभी को खुशियों से भरे इस त्योहार की हार्दिक शुभकामनाएं!

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