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प्याज में कंद के बढ़वार के लिए करें उचित उर्वरक का इस्तेमाल
प्याज में कंद के बढ़वार के लिए करें उचित उर्वरक का इस्तेमाल
प्याज की फसल में मुनाफा पूरी तरह से प्याज के कंद की बढ़वार पर निर्धारित होता है। कंदों का आकार जितना बड़ा होगा, पैदावार भी उतनी ही ज्यादा मिलती है। प्याज में कंद के विकास के लिए उचित भूमि का चयन और भूमि की संरचना शामिल है। इसके अलावा कंद को बढ़ाने के लिए जैविक और रासायनिक उर्वरक भी प्रयोग में लाए जा सकते हैं। यह उर्वरक पौधे में पोषक तत्वों की कमी से घट रही कंदो की वृद्धि पर कार्य करने के साथ एक स्वस्थ और लाभदायक फसल प्राप्त करने में मदद करते हैं। प्याज में कंद के बढ़वार के लिए उचित उर्वरक और उनकी सही मात्रा की जानकारी आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
प्याज के कंदों के आकार छोटे होने के कारण
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मिट्टी का अधिक क्षारीय और अम्लीय होना कंदो के विकास में बाधा बनता है।
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बहुत अधिक गर्म और बहुत अधिक ठंडी जलवायु के कारण भी प्याज में कंद नहीं बन पाते हैं।
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मिट्टी में पोषण की कमी से कंद का विकास नहीं हो पाता है।
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सही ढंग से न की गई भूमि की तैयारी भी कंद का विकास नहीं होने देती है।
प्याज में कंद के बढ़वार के लिए उचित उर्वरक प्रबंधन
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8 से 10 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति एकड़ की दर से खेत की अंतिम तैयारी के समय मिला दें।
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44 किलोग्राम नाइट्रोजन का तीन भागों में विभाजन करें। 16 किलोग्राम फास्फोरस एवं 35 किलोग्राम पोटाश के साथ 22 किलोग्राम नाइट्रोजन की मात्रा को रोपाई से पहले प्रति एकड़ की दर से खेत में डाल दें।
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नाइट्रोजन की शेष मात्रा को 30 एवं 45 दिनों के बाद प्रति एकड़ क्षेत्र में छिड़कें।
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खेत में गंधक की कमी भी प्याज के कंद की वृद्धि में रुकावट का कारण बन सकता है। गंधक की मात्रा जानने के लिए मिट्टी की जांच करवाएं।
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भूमि में गंधक स्तर 6 किलोग्राम प्रति एकड़ से ऊपर होने पर 12 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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भूमि में गंधक स्तर 6 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से नीचे होने पर 18 प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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4 किलोग्राम देहात स्टार्टर का प्रयोग प्रति एकड़ की दर से करें।
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