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प्याज की फसल में झुलसा रोग पर नियंत्रण के तरीके
झुलसा रोग प्याज की फसल में लगने वाला एक प्रमुख रोग है। फसल के पूरी तरह से तैयार होने बाद अगर फसल पर झुलसा रोग का प्रकोप दिखे तो इसपर दवा का असर नहीं होता है। प्याज में आय के नुकसान का यह एक बड़ा कारण है। प्याज की फसल में झुलसा रोग से होने वाले नुकसान एवं इस पर नियंत्रण के तरीके यहां से देखें।
प्याज की फसल में झुलसा रोग से होने वाले नुकसान
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यह फसल को पूरी तरह से जला देता है।
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इस रोग के लक्षण पत्तियों एवं डंठलों पर छोटे-छोटे हल्के पीले और सफेद रंग के धब्बों के रूप में देखे जा सकते हैं।
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यह धब्बे पत्तियों को सिरे से सूखा कर फसल को जलाने का काम करते हैं।
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कंदो का विकास रुक जाता है।
प्याज की फसल में झुलसा रोग से नियंत्रण
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जैविक विधि और लम्बा फसल चक्र अपनाएं।
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बुवाई के लिए स्वस्थ बीजों का चयन करें।
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पौधों की रोपाई के 10 से 15 दिन बाद बीमारी के लक्षण दिखने पर 300 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP को प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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जैविक तरीके से नियंत्रण के लिए 250 ग्राम स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस या 500 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी का प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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15 लीटर पानी में 25 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करने से इस रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है।
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रिडोमिल एमजेड के 0.2 प्रतिशत घोल के छिड़काव से भी फसल पर लगे रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
यह भी देखेंः
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