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प्याज की मुड़ती हुई पत्तियों से जाने क्या है आपकी फसल का हाल

प्याज की मुड़ती हुई पत्तियों से जाने क्या है आपकी फसल का हाल

प्याज में कई प्रकार के रोग, अधिक नमी और विभिन्न प्रकार के कीटों का खतरा प्याज को एक अतिसंवेदनशील फसल की श्रेणी में जोड़ता है। ये कारक प्याज की नर्सरी से लेकर कटाई तक फसल में किसी भी अवस्था में देखे जा सकते हैं और समय पर नियंत्रित न किए जाने पर फसल को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं।

देश में रबी मौसम की प्याज की फसल अपने प्रारंभिक विकास चरण में पहुंच चुकी है और किसान फसल बुवाई के लिए खेत की तैयारी जैसे कार्यों में जुट चुके हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप किसान प्याज की फसल को सर्वाधिक तौर पर नुकसान पहुंचाने वाले रस चूसक कीटों के बचाव के लिए अभी से ही सजगता बरतें।

प्याज में रस चूसक कीट हरा तेला, लार्वा और वयस्क दोनों की अवस्था में पत्तियों के कपोलों में छिपकर पत्तियों से हरे रस का सेवन करता है। कीट की उपस्थिति सामान्य तौर पर पत्तियों की निचली ओर अधिक देखी गई है, जिन्हें पत्तियों पर पड़ रहे धब्बों और पत्तियों पर पड़ रही चमकीली रेखाओं से आसानी से पहचाना जा सकता है। युवा व्यस्क खेत में जमीन, घास और अन्य पौधों पर पाए जाते हैं, जो सर्दियों में प्याज के कंद में चले जाते हैं और अगले वर्ष दोबारा संक्रमण स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। मार्च-अप्रैल के दौरान कीट बीज उत्पादन और प्याज कंद पर बड़ी संख्या में वृद्धि करते हैं। जिसके कारण ग्रसित पौधों की वृद्धि रुकना पत्तियां घूमी हुई दिखाई देना और कंद वृद्धि रुक जाना जैसी समस्याएं आप किसानों के सामने आ सकती है। इतना ही नहीं कीट भंडारण के दौरान भी कंद पर अपना प्रकोप बनाएं रहते हैं जिससे तेजी से गिरते बाजारी भाव का अनुमान स्वाभाविक तौर पर लगाया जा सकता है।

रोग का लक्षण

  • कोमल पत्तियों का फटना।

  • नई पत्तियों पर पीली (या)चांदी की धारियां दिखाई देना।

  • सिरे से तने तक पत्तियों का घूमी हुई जलेबी जैसे नजर आना।

  • क्षतिग्रस्त पत्तियां किनारों के साथ अंदर की ओर मुड़ी हुई और सूखी हुई दिखाई देती हैं परिणामस्वरूप खराब फसल वृद्धि होती है।

  • पानी के दबाव की स्थिति में क्षति गंभीर हो जाती है।

रोकथाम के उपाय

  • प्याज में रोग एवं नियंत्रण के लिए खेत की गहरी जुताई करें।

  • अधिक नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग न करें क्योंकि इससे थ्रिप्स कीट का प्रभाव बढ़ जाता है।

  • लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 05% ई.सी की 120 मिलीलीटर मात्रा का छिड़काव 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से करें।

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किसान उपर दिए गए उपायों से कीट को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं। कीट के नियंत्रण से जुड़ी अन्य जानकारी व इसके रोकथाम के लिए किसान भाई हमारे टॉल फ्री नंबर 1800 1036 110 पर संपर्क कर सकते हैं।


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