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प्याज के पौधों को बैंगनी धब्बा रोग से बचाने के तरीके
प्याज के पौधों को बैंगनी धब्बा रोग से बचाने के तरीके
प्याज के पौधों को बैंगनी धब्बा रोग, गलन रोग, झुलसा रोग, मृदुरोमिल आसिता रोग, आदि के कारण बहुत नुकसान होता है। प्याज की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए एवं फसल को रोगों से बचाने के लिए इन रोगों की जानकारी होना बेहद जरूरी है। यदि आप प्याज की खेती कर रहे हैं तो यहां से बैंगनी धब्बा रोग का कारण, लक्षण एवं इस पर नियंत्रण के तरीके देख सकते हैं।
बैंगनी धब्बा रोग का कारण
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यह रोग अल्टरनेरिया पोरी नामक कवक के कारण होता है।
बैंगनी धब्बा रोग के लक्षण
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रोग की शुरुआत पौधों की पुरानी पत्तियों से होती है।
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पत्तियों पर छोटे अंडाकार धब्बे उभरने लगते हैं।
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कुछ समय बाद धब्बों का रंग बैंगनी से भूरा होने लगता है।
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इन धब्बों के किनारे पीले रंग के होते हैं।
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रोग बढ़ने के साथ धब्बों के पीले किनारे फैलने लगते हैं और पत्तियों के ऊपर एवं नीचे घाव बनने लगते हैं।
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पत्ते मुरझाने लगते हैं।
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पौधा सूखने लगता है।
बैंगनी धब्बा रोग पर नियंत्रण के तरीके
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बैंगनी धब्बा रोग से प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
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इस रोग से बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं।
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खरपतवार पर नियंत्रण करें।
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200 लीटर पानी में 200 ग्राम मैंकोजेब 63 डब्लूपी मिला कर छिड़काव करें। यह मात्रा प्रति एकड़ खेत के अनुसार दी गई है।
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आवश्यकता होने पर 15 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव कर सकते हैं।
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कॉपर युक्त कवकनाशी का छिड़काव भी इस रोग पर नियंत्रण के लिए कारगर साबित हो सकता है।
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प्याज की फसल में उर्वरक प्रबंधन की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
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