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मेंथा / पुदीना
कल्पना
कृषि विशेषयज्ञ
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पुदीना की खेती कैसे करें?

पुदीना की खेती कैसे करें?

पुदीना को मेंथा एवं मिंट के नाम से भी जाना जाता है। यह पेट के लिए रामबाण औषधि है, इसका इस्तेमाल दवाओं के अलावा ठंडे पेय पदार्थ एवं चटनी बनाने के लिए किया जाता है। इसके पौधों में कीटों के प्रकोप का खतरा बहुत कम होता है। इसके साथ ही पुदीना के पौधे कई हद तक जल जमाव जैसी स्थिति को सहन करने में सक्षम होते हैं। पुदीना की फसल जल्दी तैयार हो जाती है और इसकी 1 बार बुवाई करके 3 से 4 बार कटाई की जा सकती है।

उपरोक्त कारणों से आज-कल पुदीना की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है। अच्छी फसल होने पर मंडी में पुदीने के भाव भी अच्छे मिल जाते हैं। यदि आप भी पुदीना की खेती करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत फायदेमंद होने वाला है। इसमें हम पुदीना की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु, रोपाई का समय एवं विधि, सिंचाई एवं कटाई के बारे में बात करेंगे। तो आइए सबसे पहले जानते हैं इसके लिए उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु के बारे में बात कर लेते हैं।

पुदीना की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु

  • पुदीना की खेती लगभग हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है।

  • जीवांश युक्त बलुई दोमट मिट्टी पुदीने की खेती के लिए सर्वोत्तम है।

  • मिट्टी का पी.एच स्तर 6.0 से 7.5 होना चाहिए।

  • समशीतोष्ण जलवायु के साथ उष्ण एवं उपोषण जलवायु में भी पुदीने की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है।

पुदीने की रोपाई का समय

  • अत्यधिक ठंड वाले महीनों को छोड़कर वर्ष भर इसकी खेती की जा सकती है।

  • फरवरी-मार्च का महीना पौधों को लगाने के लिए सर्वोत्तम है।

  • रबी फसलों की कटाई के बाद भी पुदीने की खेती कर सकते हैं।

पुदीने के लिए खेत तैयार करने की विधि

  • सबसे पहले मिट्टी पलटने वाली हल से 1 से 2 बार गहरी जुताई करें।

  • इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई करके पाटा लगाएं।

  • अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ भूमि में 6 से 8 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।

  • इसके अलावा खेत में नीम की खली भी मिलाई जा सकती है।

  • क्यारियां बना कर खेती करने से सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई में आसानी होती है। इसलिए जुताई के बाद खेत में क्यारियां तैयार करें।

पुदीने की रोपाई विधि

  • सबसे पहले नर्सरी में पौधे तैयार करें।

  • नर्सरी में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।

  • पौधों में 3-4 पत्तीयां आने के बाद पौधों की मुख्य खेत में रोपाई करें।

  • मुख्य खेत में पौधों की रोपाई 45 सेंटीमीटर की दूरी पर करें।

पुदीने की सिंचाई कब, कैसे करें?

  • पुदीना के पौधों को पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए पानी की कमी वाले क्षेत्रों में इसकी खेती न करें।

  • मिट्टी में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए।

  • फरवरी-मार्च महीने में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए।

  • गर्मी के मौसम में 6 से 8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।

  • ठंड के मौसम में 20 से 25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।

पुदीने की कटाई का सही समय

  • पौधों को लगाने के 60 से 90 दिनों के बाद पहली कटाई की जा सकती है।

  • इसके बाद हर 60-70 दिनों के अंतराल पर कटाई करें।

  • पौधों की कटाई जमीन की सतह से 6 से 8 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर करें।

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो हमारे पोस्ट को लाइक करें एवं अन्य किसान भाइयों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान भी इस जानकारी का लाभ उठा सकें। पुदीना की खेती से जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं।
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