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पशुओं के लिए जानलेवा है रेबीज रोग, इस तरह करें बचाव
Author : Dr. Pramod Murari

रेबीज एक जानलेवा विषाणु जनित रोग है। यह रोग कुत्ते, बिल्ली, बंदर, गीदड़, लोमड़ी या नेवले के काटने से होता है। यह रोग गाय, भैंस, भेड़, बकरी, घोड़े, ऊंट, आदि पशुओं के लिए घातक साबित होता है। पशुओं के अलावा यह रोग मनुष्यों के लिए भी जानलेवा है। इस रोग का कारण लक्षण एवं बचाव के उपाय यहां से देखें।
रेबीज रोग होने का मुख्य कारण
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यह रोग संक्रमित कुत्ते, बिल्ली, नेवला, लोमड़ी, आदि जानवरों के काटने से होता है।
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संक्रमित पशुओं के काटने पर इस रोग का विषाणु स्वस्थ पशुओं के शरीर में प्रवेश करता है और उनके तंत्र को प्रभावित करते हुए मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। जिससे पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है।
पशुओं में रेबीज रोग का लक्षण
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गाय, भैंस, बकरी, ऊंट, आदि पशुओं में रैबिट के कई लक्षण नजर आते हैं।
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संक्रमित पशु पानी से डरने लगते हैं।
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पशु अपना सिर किसी पेड़ या दीवार पर मारने लगते हैं।
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पशुओं के मुंह से लार गिरने लगता है।
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पशुओं की पिछली टांगे कमजोर हो जाती हैं।
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पशुओं में उग्रता पागलपन या लकवा के लक्षण नजर आने लगते हैं।
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घोड़ों में पागलपन के लक्षण के साथ पेट दर्द के लक्षण भी नजर आते हैं।
रेबीज रोग से बचाव के उपाय
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पशुओं को आवारा कुत्ते एवं बिल्लियों से दूर रखें।
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कुत्ते, नेवले, आदि के काटने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
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पशुओं को इस रोग से बचाने के लिए एंटी रेबीज का टीकाकरण कराएं।
प्रभावित जानवरों के काटने पर क्या करें?
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कुत्ते, नेवले, लोमड़ी, आदि के काटने पर काटे गए स्थान को साफ पानी से 15 से 20 मिनट तक धोएं।
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इसके बाद घाव की साबुन से सफाई की जा सकती है।
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काटे हुए स्थान पर एंटीसेप्टिक दवा लगाएं।
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प्रभावित पशुओं को अन्य पशुओं से अलग रखें एवं उनका खाना-पीना भी अलग कर दें।
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दुधारू पशुओं में रेबीज रोग होने पर रोग के विषाणु दूध में आ सकते हैं। इसलिए प्रभावित पशुओं के दूध का सेवन न करें।
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1 May 2021
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