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पपीता : मिलीबग कीट से नियंत्रण के उपाय
पपीता : मिलीबग कीट से नियंत्रण के उपाय
मिलीबग कीट से पपीते के फलों को करीब 60 से 70 प्रतिशत तक नुकसान होता है। कीट का प्रकोप पपीते की पत्तियों, तना एवं फलों पर दिखाई देता है। एक रिपोर्ट के अनुसार पपीते के पौधों में वर्ष 2008 में सबसे पहले मिलीबग का प्रकोप देखा गया। अगर आप पपीता की खेती कर रहे हैं और इस कीट से हैं परेशान तो बचाव के उपाय यहां से देख सकते हैं।
कीट की पहचान
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मिलीबग आकार में छोटा एवं पॉलीफेगस समूह का कीट है।
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यह सफेद रंग के रूई की तरह नजर आते हैं।
प्रकोप के लक्षण
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यह कीट पौधों के ऊपरी भाग के साथ पत्तियां एवं फलों का रस चूसते हैं।
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जिससे तना कमजोर हो जाता है और पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।
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प्रकोप बढ़ने पर पत्तियां झड़ने लगती हैं और फल भी खराब हो जाते हैं।
नियंत्रण के उपाय
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पपीते के बगीचे में नियमित रूप से साफ-सफाई करें।
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बगीचे को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए समय-समय पर निराई गुड़ाई करें।
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प्रभावित पत्तियों एवं फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
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पपीते के बगीचे में फसलों के अवशेष जमा न होने दें।
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1 से 2 प्रतिशत नीम के तेल का छिड़काव मिलीबग पर नियंत्रण के लिए प्रभावी साबित होता है।
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मिलीबग से छुटकारा पाने के लिए प्रति लीटर पानी में 1.5 से 2 मिलीलीटर बुप्रोफेजिन (पोलो) 25 एससी मिला कर छिड़काव करें।
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प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड मिलाकर छिड़काव करें।
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प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी या डाइमेथोएट 30 ईसी मिलाकर छिड़काव करने से भी मिलीबग से निजात मिल सकता है।
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इस पोस्ट में बताई गई दवाओं एवं उपायों को अपनाकर मिलीबग कीट से आसानी से निजात पाया जा सकता है। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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