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पपीता की खेती का सही समय एवं अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां

पपीता की खेती का सही समय एवं अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां

इन दिनों बागवानी करने वाले किसान पपीता की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। अन्य फलों की तुलना में पपीता की खेती करने में कम क्षेत्रफल के साथ लागत एवं समय भी कम लगता है। स्वादिष्ट एवं पोषक तत्वों से भरपूर पपीता की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है। इसलिए पारंपरिक फसलों की तुलना में पपीता की खेती करने वाले किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। अगर आप भी करना चाहते हैं पपीता की बागवानी तो तो इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां यहां से प्राप्त करें।

पपीता की खेती का उपयुक्त समय

  • पपीता की खेती वर्ष में तीन बार सफलतापूर्वक की जा सकती है।

  • खरीफ मौसम में पपीता की खेती के लिए पौधों की रोपाई जून-जुलाई महीने में करनी चाहिए।

  • इसके अलावा सितम्बर-अक्टूबर महीने में भी पौधों की रोपाई की जाती है।

  • वसंत ऋतू में पपीता की खेती के लिए पौधों की रोपाई फरवरी-मार्च महीने में करें।

उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु

  • बीज के अंकुरण के लिए 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सर्वोत्तम है।

  • पौधों के विकास के लिए 10 डिग्री से 26 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त है।

  • इसकी खेती दोमट मिट्टी एवं हल्की दोमट मिट्टी में करनी चाहिए।

  • अच्छी पैदावार के लिए भारी और रेतीली मिट्टी में पपीता की खेती करने से बचें।

  • मिट्टी का पीएच स्तर 6.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए।

खेत तैयार करने की विधि

  • खेत तैयार करते समय सबसे पहले 1 बार गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार एवं हानिकारक कीट नष्ट हो जाएंगे।

  • इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई कर के भूमि को समतल बना लें।

  • पौधों की रोपाई से 15 दिन पहले खेत में 50 सेंटीमीटर गहराई वाले 50 सेंटीमीटर चौड़े गड्ढे तैयार करें।

  • सभी गड्ढों के बीच करीब 2 मीटर की दूरी रखें।

  • सभी गड्ढों में उचित मात्रा में मिट्टी के साथ गोबर की खाद, यूरिया, एमओपी मिला कर भरें।

  • इसके बाद नर्सरी में तैयार किए गए पौधों की रोपाई करें।

  • पौधों की रोपाई के बाद गड्ढ़ों को जमीन की सतह से 10-15 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक मिट्टी भरें।

  • इससे पौधों को गिरने से बचाया जा सकता है। साथ ही वर्षा का जल तनों में जमा नहीं होगा और पौधे गलन से भी बचेंगे।

पौधों में सिंचाई

  • पौधों की रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।

  • वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

  • गर्मी के मौसम में 5 से 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।

  • ठंड के मौसम में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।

फलों की तुड़ाई

  • पौधों की रोपाई के करीब 9 से 10 महीने में फल पक कर तैयार हो जाते हैं।

  • सब्जी बनाने के लिए फलों की तुड़ाई पकने से पहले कर लें।

  • फल की तरह उपयोग करने के लिए पके फलों की तुड़ाई करें।

  • फल पकने पर पीले एवं नारंगी रंग के हो जाते हैं। इस समय फलों की तुड़ाई करें।

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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इस विधि से पपीता की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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