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पिप्पली की खेती से पहले जानें यह बातें
पिप्पली की खेती से पहले जानें यह बातें
पिप्पली में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं। सरदर्द, खांसी, गले से संबंधित रोगों, पेट संबंधित रोगों, बवासीर, आदि में इसके सेवन से लाभ मिलता है। भारत में इसकी खेती महाराष्ट्र, केरल, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, आदि राज्यों में प्रमुखता से की जाती है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से पिप्पली की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करें।
पिप्पली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु
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इसकी खेती के लिए लाल मिट्टी एवं बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त है।
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इसके अलावा इसकी खेती उचित जल निकासी वाली मध्यम भारी मिट्टी में भी की जा सकती है।
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पौधों के बेहतर विकास के लिए उष्ण एवं आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
नर्सरी तैयार करने की विधि
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पिप्पली की खेती पौधों की कटिंग लगा कर की जाती है।
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मुख्य खेत में रोपाई से करीब 2 से 3 महीने पहले इसकी शाखाओं से 8 से 15 सेंटीमीटर लम्बी कलम तैयार करें।
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सभी कलम (कटिंग) में 3 से 6 आंखें और 2 से 3 पत्तियां होनी चाहिए।
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कटिंग में रूटिंग हार्मोन लगा कर 8*15 सेंटीमीटर प्लास्टिक की थैलियों में रोपाई करें।
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नर्सरी को किसी छांव वाले स्थान पर तैयार करें।
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नर्सरी में हर दिन हल्की सिंचाई करें।
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