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पत्ता गोभी
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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फूल कर काली हो रही गोभी की जड़ों से पैदावार में बड़ा खतरा

फूल कर काली हो रही गोभी की जड़ों से पैदावार में बड़ा खतरा

क्लब रूट सब्जियों में पाया जाने वाला एक प्रकार का कवक जनित रोग है, जो प्लास्मोडियोफोरा ब्रासिका वोरोनिन कवक के कारण सब्जियों में देखा जाता है। गोभी के अलावा यह कवक ब्रोकोली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, कोहलबी, केल, मूली, शलजम, रुतबागा, सरसों, कोलार्ड साग, अरुगुला, बोक चॉय और कैनोला जैसी सब्जियों को भी प्रभावित करता है। कवक फसलों की जड़ों को संक्रमित करता है, जिससे वे फूलने लगती हैं और पानी या पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाती है।

फसल में क्लब रूट के कारण

  • तापमान में अधिक उतार चढ़ाव होना फसल में रोग को तेजी से फैलने में मदद करता है।

  • मिट्टी में अधिक नमी भी गोभी में इस रोग के संक्रमण को बढावा देती है।

  • अधिक अम्लीय मिट्टी में खेती की जाने पर भी फसल में क्लब रूट के संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है।

रोग के लक्षण

  • पौधों की बढ़वार न होना एवं पौधों में बौनापन दिखाई देना।

  • पत्तियां मुरझाकर पीली पड़ने लगती हैं।

  • जड़ो का विकृत होकर फूलना।

  • पुराने पौधों से कटाई योग्य फसल नहीं मिलती।

  • रोग बढ़ने पर जड़ों का रंग काला हो जाता है और जड़ें सड़ने लगती हैं।

रोकथाम के उपाय

  • इस रोग से बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली प्रमाणित बीज का चयन करें।

  • जिस खेत में क्लब रूट रोग का प्रकोप दिखाई दे वहां गोभी की खेती न करें।

  • यदि किसी खेत में इस रोग से प्रभावित फसलों का अवशेष डाला गया है तो वहां गोभी की खेती करने से बचें।

  • खेती के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों को साफ रखें।

  • खेत में खरपतवार पर नियंत्रण करना आवश्यक है।

  • मिट्टी की पी.एच स्तर की जांच अवश्य कराएं।

  • यह रोग अम्लीय मिट्टी में आम है जिसका पी.एच स्तर करीब 5.7 से 7 तक पाया जाता है। इससे बचने के लिए मिट्टी का पी.एच स्तर 7.3 से 7.5 रखें।

  • पौधों को इस रोग से बचाने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 0.25% से उपचारित करें।

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पत्ता गोभी में नर्सरी से लेकर फसल की कटाई की अवस्था तक कई प्रकार के कीटों का प्रकोप देखने को मिलता है, जिनमें फंगस नुमा संक्रमण और उससे होने वाले फसल नुकसान से आप किसान भली भांति परिचित होंगे। फसल में प्रारंभिक बचाव एवं खेती में आ रही किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए आप देहात टोल-फ्री नंबर 1800-1036-110 पर कॉल कर कृषि वैज्ञानिकों से उचित सलाह ले सकते हैं।




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