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डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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फूल गोभी की खेती से पहले जान लें इसकी उन्नत किस्में

फूल गोभी की खेती से पहले जान लें इसकी उन्नत किस्में

फूल गोभी की खेती वर्ष में 2 से 3 बार की जा सकती है। सब्जियों के खेती करने वाले किसानों के लिए फूल गोभी की खेती लाभदायक सिद्ध होती है। लेकिन कई बार उन्नत किस्मों की जानकारी नहीं होने के कारण किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसे में अगर आप भी करना चाहते हैं फूल गोभी की खेती तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। यहां से आप फूल गोभी की कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

फूल गोभी की कुछ उन्नत्त किस्में एवं उनकी विशेषताएं

  • पूसा अर्ली सिंथेटिक (आगत) : इस किस्म की खेती जायद एवं खरीफ दोनों मौसम में की जाती है। खरीफ मौसम में खेती करने के लिए जून-जुलाई महीने में पौधों को लगाना चाहिए। इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है। इस किस्म के फूल क्रीम की तरह सफेद रंग के एवं पुष्ट होते हैं। पत्तियां नीली-हरी और पौधे सीधे होते हैं। फूल छोटे से मध्यम आकार के होते हैं। फसल को तैयार होने में 70 से 75 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि से 48 से 60 क्विंटल पैदावार होती है।

  • हिमरानी : यह किस्म अगस्त-सितंबर में खेती करने के लिए उपयुक्त किस्म है। इसकी खेती मध्यम एवं निचली भूमि में सफलतापूर्वक की जा सकती है। इस किस्म के पौधों को अच्छे विकास के लिए उचित जल निकास वाली दोमट मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। इस किस्म के गोभी के फूल बर्फ की तरह सफेद होते हैं। पौधे आकर्षक एवं सीधे होते हैं। मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जीवांश उपलब्ध होना चाहिए। बुवाई के करीब 80 से 85 दिनों में कटाई की जा सकती है। प्रति एकड़ भूमि से औसतन 100 क्विंटल तक पैदावार होती है। वहीं अधिकतम 240 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

  • पूसा हिम ज्योति (मध्य) : इस किस्म की नर्सरी अगस्त-सितंबर महीने में तैयार की जाती है। मुख्य खेत में पौधों की रोपाई सितंबर-अक्टूबर महीने में की जाती है। यह जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में से एक है। इस किस्म के फूलों का रंग सफेद होता है। पत्तियां नीली-हरी एवं मोम की तरह पदार्थ से ढकी हुई होती हैं। प्रत्येक फूल का वजन 500 से 600 ग्राम होता है। फसल को तैयार होने में 60-75 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि से 64 से 72 क्विंटल तक पैदावार होती है।

  • पुष्पा : इस किस्म की खेती मध्य अगस्त से सितम्बर महीने तक की जा सकती है। इस किस्म के फूल ठोस एवं सफेद रंग के होते हैं। प्रत्येक फूल का वजन 1 से 1.5 किलोग्राम होता है। इस किस्म की खेती उचित जल निकासी वाली जीवांश युक्त दोमट मिट्टी एवं बलुई दोमट मिट्टी में करनी चाहिए। फसल को तैयार होने में 85 से 95 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 100 से 180 क्विंटल तक पैदावार होती है।

  • पूसा शुभ्रा (मध्य) : इस किस्म की नर्सरी तैयार करने के लिए अगस्त-सितंबर का महीना उपयुक्त है। नर्सरी में तैयार किए गए पौधों की रोपाई सितंबर-अक्टूबर महीने में करनी चाहिए। इस किस्म के फूल पुष्ट एवं सफेद रंग के होते हैं। पत्तियां नीली-हरी एवं मोम की तरह पदार्थ से ढकी होती हैं। यह किस्म उपरी एवं मध्यम भूमि में खेती के लिए उपयुक्त है। फसल को तैयार होने में 90 से 95 दिनों का समय लगता है। प्रत्येक फूल का वजन करीब 700-800 ग्राम होता है। प्रति एकड़ भूमि से 80 से 100 क्विंटल तक पैदावार होती है।

इन किस्मों के अलावा हमारे देश में फूल गोभी की कई अन्य किस्मों की खेती भी सफलतापूर्वक की जाती है। जिनमें पूसा दीपाली, पंत शुभ्रा, पटना मध्यकालीन, पूसा कार्तिकी, जापानी इम्प्रूव्ड, पंत गोभी 2, पंजाब जायंट 26, समर किंग, आदि किस्में शामिल हैं।

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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य  साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इन किस्मों की खेती कर के बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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