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फसलों पर फिर मंडराया टिड्डियों का खतरा, ऐसे करें बचाव
फसलों पर फिर मंडराया टिड्डियों का खतरा, ऐसे करें बचाव
वर्ष 2020 में भारत के कई राज्यों में टिड्डियों ने हमला किया था और फसलों को भारी क्षति पहुंचाई थी। वर्ष 2021 में एक बार फिर टिड्डियों ने अपना आतंक फैलाना शुरू कर दिया है। खबरों के अनुसार राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में टिड्डियों के झुंड ने हमला कर दिया है। जिससे किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
टिड्डियों के आतंक से बचने के लिए उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए प्रदेश के किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी है। आगरा के जिला कृषि अधिकारी के अनुसार भोजन की तलाश में बड़ी संख्या में टिड्डियां पाकिस्तान से राजस्थान पहुंची हैं। जैसलमेर के कुछ क्षेत्रों में टिड्डियों के झुंड नजर आए हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि टिड्डियों का यह झुंड जल्द ही आगरा की तरफ बढ़ सकता है। उत्तर प्रदेश में तबाही मचाने के बाद यह टिड्डियां बिहार की तरफ भी बढ़ सकती हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों को सतर्क रहने एवं खेत का निरीक्षण करने की आवश्यकता है।
आइए कृषि विभाग के द्वारा जारी की एडवाइजरी एवं टिड्डियों से बचने के कुछ तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी
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कृषि विभाग के द्वारा जारी की गई एडवाइजरी के अनुसार टिड्डियों को भगाने के लिए थाली, ढोल या टिन के डब्बे बजाए जा सकते हैं।
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खेत के आसपास आग जलाकर धुआं करें। यदि संभव हो तो नीम की पत्तियां जलाकर धुआं करें।
टिड्डियों से से फसलों को बचाने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग
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टिड्डियों से निजात पाने के लिए प्रति लीटर पानी में 2.5 मिलीलीटर क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. (लीथल 20 ई.सी.) मिला कर छिड़काव करें।
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इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर लैम्डा सैलोथ्रिन 5 प्रतिशत ई.सी. (जो बाजार में सिंजेन्टा कराटे के नाम से उपलब्ध है) मिला कर छिड़काव करें।
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प्रति लीटर पानी में 0.25 मिलीलीटर फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस.सी. मिला कर छिड़काव करने से भी टिड्डियों के आतंक को कम किया जा सकता है। यह कीटनाशक बाजार में बयार का रीजेंट एस.सी. और धानुका का फैक्स एस.सी. नाम से उपलब्ध है।
टिड्डियों से बचने के लिए कुछ अन्य उपाय
शाम 7 बजे से 9 बजे के बीच टिड्डियों एवं अन्य कीटों का प्रकोप अधिक होता है। इसलिए किसानों को छोटे झुंड बना कर रात के समय अपने खेत का निरीक्षण करना चाहिए।
पौधों पर नीम के तेल के छिड़काव से भी इन टिड्डियों से बच सकते हैं।
लहसुन का तेल का प्रयोग भी टिड्डियों से बचने के लिए प्रभावी पाया गया है।
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