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फसलों में सल्फर की कमी के लक्षण, जानें इसे प्रयोग करने के फायदे
फसलों में सल्फर की कमी के लक्षण, जानें इसे प्रयोग करने के फायदे
फसलों को कई तरह के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिनमें से एक है सल्फर। सल्फर को गंधक के नाम से भी जाना जाता है। सल्फर 3 प्रकार के होते हैं, जिनके नाम अधातु सल्फाइड, धातु सल्फाइड और कार्बनिक सल्फाइड हैं। बाजार में सल्फर दानेदार, पाउडर और तरल रूप में उपलब्ध है। आइए फसलों में सल्फरकी कमी के लक्षण एवं इसे प्रयोग करने के फायदों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
फसलों में सल्फर की कमी के लक्षण
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सल्फर की कमी होने पर पत्तियां पीली होने लगती हैं।
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पौधों के विकास में बाधा आती है।
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कई बार पौधों की पत्तियां एवं तने हल्के बैंगनी रंग के नजर आने लगते हैं।
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पौधों के तने कठोर हो जाते हैं।
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पौधों में फूल एवं फलियां कम बनती हैं।
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बीज सही से परिपक्व नहीं हो पाते हैं।
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खाद्यान्न फसलों को पकने में अधिक समय लगता है।
फसलों में सल्फर प्रयोग करने के फायदे
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इसे प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है।
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यह पौधों के लिए एक बेहतर कीटनाशक एवं टॉनिक का काम करता है।
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तिलहनी फसलों में सल्फर प्रयोग करने से तेल की मात्रा में वृद्धि होती है।
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आलू में सल्फर प्रयोग करने से स्टार्च की मात्रा बढ़ती है।
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तम्बाकू,चारे वाली फसलें एवं सब्जियों में इसे प्रयोग करने से फसल की गुणवत्ता बढ़ती है।
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यह पौधों में एंजाइमों की क्रियाशीलता को बढ़ाने में सहायक है।
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इसके प्रयोग से पत्तियों में क्लोरोफिल (हरे पदार्थ) का निर्माण होता है।
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यह दलहनी फसलों की गाठों के निर्माण में सहायक है।
सल्फर की पूर्ति कैसे करें?
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अम्लीय मिट्टी में आवश्यकता के अनुसार अमोनियम सल्फेट एवं पोटेशियम सल्फेट का प्रयोग किया जाता है।
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क्षारीय मिट्टी में जिप्सम या सिंगल सुपर फॉस्फेट का प्रयोग करना चाहिए।
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सल्फर की पूर्ति के लिए जिप्सम सबसे आसानी से उपलब्ध होने वाला उर्वरक है।
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सामान्यतौर पर प्रति एकड़ भूमि में 8 से 10 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग किया जाता है।
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