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उर्वरक
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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फसलों में माइकोराइजा उपयोग करने के लाभ

फसलों में माइकोराइजा उपयोग करने के लाभ

माइकोराइजा एक सूक्ष्मदर्शी जीव है। यह पौधों की जड़ों एवं कवक के बीच सहजीवी रूप से रहता है। यह पौधों को महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को ग्रहण करने में सहायक है। इसका प्रयोग जैविक उर्वरक के तौर पर भी किया जाता है। फसलों के साथ मिट्टी के लिए भी बहुत लाभदायक है। आइए माइकोराइजा के लाभ एवं प्रयोग की विधि पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

किन फसलों में करें माई कोराइजा का प्रयोग?

  • नर्सरी में तैयार किए जाने वाले सब्जी वर्गीय फसलों में इसका प्रयोग किया जा सकता है।

  • इसका प्रयोग बैंगन, मिर्च, भिंडी, आलू, प्याज, मूंगफली, टमाटर, गोभी, तरबूज, अजवाइन, लहसुन, आदि कई फसलों में किया जाता है।

माइकोराइजा के फायदे

  • यह जड़ों के विकास में सहायक है।

  • इसके प्रयोग से फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है।

  • मिट्टी की उर्वरा क्षमता में बढ़ोतरी होती है।

  • इसके प्रयोग से मिट्टी को रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव से बचाया जा सकता है।

  • यह मिट्टी में फास्फोरस की उपलब्धता को 60 से 80 प्रतिशत तक बढ़ाने में सहायक है।

  • यह मिट्टी की भौतिक एवं रासायनिक संरचना में सुधार करने में सहायक है।

  • इसके प्रयोग से पौधों को जल ग्रहण करने में आसानी होती है। जिससे पौधे सूखे के प्रति सहनशील हो जाते हैं।

  • यह फसलों को मिट्टी से होने वाले कई हानिकारक रोगों से बचाने में कारगर है।

  • यह मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार लाने के साथ मिट्टी के कटाव को भी रोकता है।

माइकोराइजा प्रयोग करने की विधि

  • पौधों की रोपाई से पहले प्रति लीटर पानी में 5 मिलीलीटर माइकोराइजा मिलाकर जड़ों को डुबोएं। इससे जड़ों का विकास अच्छा होता है।

  • प्रति एकड़ खेत में ड्रिप सिंचाई के साथ 200 ग्राम से 250 ग्राम तक माइकोराइजा दिया जा सकता है।

  • माइकोराइजा प्रयोग करने के 15 दिन पहले एवं 15 दिनों बाद तक रसायन युक्त कवकनाशक एवं खरपतवार नाशक का प्रयोग ना करें।

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