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फसलों को झुलसा रोग से बचाने के सटीक उपाय
फसलों को झुलसा रोग से बचाने के सटीक उपाय
फसलों में होने वाले घातक रोगों में झुलसा रोग भी शामिल है। इस रोग से गेहूं, आलू, बैंगन, सरसों, टमाटर, धान, कपास, जौ, आदि कई फसलें प्रभावित होती हैं। यह एक फफूंद जनित रोग है। इस रोग के जीवाणु लम्बे समय तक मिट्टी में जीवित रहते हैं। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम झुलसा रोग के लक्षण एवं इस पर नियंत्रण के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
झुलसा रोग के लक्षण
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इस रोग के होने पर पत्तियां ऊपर से नीचे की तरफ सूखने लगती हैं।
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प्रभावित हिस्सों पर भूरे रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।
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रोग बढ़ने पर फल सिकुड़ने एवं सूखने लगते हैं।
झुलसा रोग पर नियंत्रण के तरीके
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इस रोग से बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं।
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इस रोग से प्रभावित क्षेत्रों का पानी अन्य खेतों में न लगाएं।
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बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 4 ग्राम ट्राइकोडरमा से उपचारित करें।
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इस रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को नष्ट कर दें।
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इस रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 25 से 30 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करें।
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इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 3 ग्राम एंट्राकोल नामक दवा मिला कर भी छिड़काव कर सकते हैं। प्रति एकड़ भूमि में 250 से 300 ग्राम की दर से दवा का छिड़काव करें।
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मैंकोज़ेब 0.2 प्रतिशत का छिड़काव करने से भी इस रोग से छुटकारा मिलता है।
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