मिर्च के बिना सब्जियां एवं कई अन्य व्यंजन बेस्वाद लगते हैं। इसलिए हम सभी के घरों में किसी न किसी रूप में मिर्च की उपस्थिति होती ही है। इसकी खेती भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में की जाती है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए इसे कई रोगों से बचाना बहुत जरूरी है। जिनमे से एक है आर्द्रगलन रोग। इस रोग को डम्पिंग ऑफ के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग का कारण, लक्षण एवं बचाव की जानकारी के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।
रोग का कारण
यह एक फफूंद जनक रोग है जो पीथियम एफानीडरमेटस नमक फफूंद के कारण होता है।
नर्सरी में इस रोग के होने का खतरा अधिक होता है।
नर्सरी में जल जमाव होने के कारण भी पौधे सड़ने लगते हैं।
अधिक तापमान इस रोग के लिए अनुकूल है।
रोग का लक्षण
जमीन की सतह से सटे तने मुलायम हो जाते हैं।
कुछ समय बाद पौधों का तना सड़ने लगता है।
रोग बढ़ने पर पौधे सूख कर गिरने लगते हैं।
बचाव के उपाय
इस रोग से बचने के लिए नर्सरी में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
नर्सरी में बहुत अधिक पौधों को न लगाएं।
बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना आवश्यक है।
प्रति किलोग्राम बीज को 1 ग्राम कार्बेन्डाज़िम से उपचारित करें।
प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम थीरम या कैप्टान से भी उपचारित किया जा सकता है।
इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम कैप्टान मिला कर छिड़काव भी कर सकते हैं।
इस पोस्ट में दिए गए उपायों को अपनाकर आप मिर्च के पौधों को सड़ने से बचा सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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