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फलों को इस तरह बचाएं लाल मकड़ी के प्रकोप से
फलों को इस तरह बचाएं लाल मकड़ी के प्रकोप से
आकार में छोटी होने के कारण लाल मकड़ी आसानी से नजर नहीं आती है। समूह में आक्रमण करने के कारण यह पौधों एवं फलों को कम समय में अधिक नुकसान पहुंचाती हैं। यह पत्तियों की नीचली सतह पर रह कर पत्तियों एवं फलों का रस चूसती हैं। जिससे फलो की गुणवत्ता एवं पैदावार पर प्रतिकूल असर होता है। गर्मी के मौसम में इसका प्रकोप अधिक होता है। यदि आप भी कर रहे हैं फलों की खेती तो और लाल मकड़ी के प्रकोप से हैं परेशान तो इस पर नियंत्रण के तरीके यहां से देखें। आइए नियंत्रण के तरीके जानने से पहले लाल मकड़ी के प्रकोप के लक्षण की जानकारी प्राप्त करें।
लाल मकड़ी के प्रकोप के लक्षण
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प्रभावित पौधों के पत्ते पीले हो कर सूखने लगते हैं।
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फलों पर भूरे रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।
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प्रभावित फलों की सतह खुरदरी हो जाती है।
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ग्रसित पौधों पर सूक्ष्म जाला नजर आने लगता है।
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पौधे कमजोर हो जाते हैं और पौधों में फूल-फल कम निकलते हैं।
लाल मकड़ी पर कैसे करें नियंत्रण?
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जैविक तरीके से नियंत्रण के लिए प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर नीम युक्त कीटनाशक जैसे निम्बेसिडिन या नीमोल नीमगोल्ड मिला कर छिड़काव करें।
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इसके अलावा 3 प्रतिशत नीम के तेल का छिड़काव करें।
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लाल मकड़ी पर नियंत्रण के लिए सल्फर डस्ट का प्रयोग करें।
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इसके अलावा 0.1 प्रतिशत कैराथेन का छिड़काव करने से भी लाल मकड़ी पर नियंत्रण कर सकते हैं।
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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। इस पोस्ट में दवाओं का प्रयोग कर के आप लाल मकड़ी पर आसानी से नियंत्रण कर सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इस जानकारी का लाभ उठा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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