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फल मक्खी : जानें इसके नुकसान एवं नियंत्रण के उपाय
फल मक्खी : जानें इसके नुकसान एवं नियंत्रण के उपाय
मादा फल मक्खी फलों में छेद कर के अंडे देती हैं। करीब 3 से 5 दिनों के बाद अंडों से इल्लियां निकलती हैं। इल्लियां फलों को 20 से 25 दिनों तक खा कर नुकसान पहुंचाती हैं। इसके बाद इल्लियां प्यूपा में बदल कर मिट्टी के अंदर चली जाती हैं। करीब 1 सप्ताह बाद व्यस्क कीट बहार निकल कर दोबार अंडे देना शुरू कर देती हैं। आइए फल मक्खी से होने वाले नुकसान एवं इन पर नियंत्रण की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
फल मक्खी से होने वाले नुकसान
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फल मक्खी अंडे देने के लिए फलों में छेद करती हैं। जिससे फलों में छेद नजर आने लगते हैं।
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कीट की इल्लियां फलों को अंदर से खाती हैं।
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प्रभावित फलों का आकार टेढ़ा हो जाता है।
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कीट का प्रकोप बढ़ने पर फल सड़ने लगते हैं।
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कुछ इल्लियां फलों के साथ सब्जियों की बेल को भी खाती हैं, जिससे बेलों में गांठ बन जाते हैं।
फल मक्खी पर नियंत्रण के तरीके
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मुख्य खेत में पौधों की रोपाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें। इससे मिट्टी में पहले से मौजूद प्यूपा नष्ट हो जाएंगे।
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कीट को आकर्षित करने के लिए प्रति एकड़ भूमि में 6 से 8 फेरोमोन ट्रैप लगाएं। इसमें लगे गंधपाश (ल्योर) से मादा कीट आकर्षित हो कर फंस जाती हैं। इससे फल मक्खियों की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।
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प्रभावित फलों को तोड़ कर नष्ट कर दें।
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15 लीटर पानी में 15 मिलीलीटर क्लोरपायरीफॉस 30 प्रतिशत मिला कर छिड़काव करें।
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5 लीटर पानी में 10 ग्राम Emamectin Benzoate मिला कर छिड़काव करने से भी फल मक्खियों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
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इल्लियों एवं कीटों पर नियंत्रण के सटीक उपाय जानने के लिए यहां क्लिक करें।
हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाओं एवं अन्य उपायों को अपना कर आप फल मक्खी पर आसानी से नियंत्रण कर सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसानों तक यह जानकारी पहुंच सके। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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