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पौधों का रंग देखकर लगाएं फसल में हो रही पोषण की कमी का अंदाजा

पौधों का रंग देखकर लगाएं फसल में हो रही पोषण की कमी का अंदाजा

पीले पड़ते पौधे, सूखती पत्तियां, काली होती जड़े और अन्य ऐसे ही कुछ बाहरी लक्षण हमें अक्सर फसल में पोषक तत्वों की कमी का हाल बताने में मदद करते हैं। ये लक्षण फसल की किसी भी अवस्था में देखने को मिल सकते हैं, जिनकी सही समय पर की गयी पहचान और प्रबंधन फसल में होने वाली भारी क्षति को रोक सकती है। देश में गेहूं की फसल अपनी प्रारंभिक विकास की अवस्था में है ऐसे में यदि मिट्टी की जांच के अनुसार फसल में सही मात्रा में उर्वरक प्रबंधन न किया गया हो तो पोषक तत्वों की कमी के लक्षण प्राथमिक अवस्था में भी दिखने लगते हैं। अन्य फसलों की तरह गेहूं की फसल में भी यह लक्षण अलग-अलग पोषक तत्वों की कमी के आधार पर अलग-अलग होते हैं और एक सामान्य जानकारी के साथ आसानी से पहचाने और नियंत्रित किए जा सकते हैं।

गेहूं में कॉपर, बोरान, आयरन (लौह), मैंगनीज, सल्फर (गंधक), मोलिब्डेनम,आदि पोषक तत्वों की आवश्यकता कम मात्रा में होती है, लेकिन उत्पादन एवं उपज की गुणवत्ता को नाइट्रोजन, जिंक, फास्फोरस तथा पोटाश ही मुख्य रूप से प्रभावित करते हैं। ये तत्व पौधे की विभिन्न क्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक होते हैं, जिनकी कमी अन्य सूक्ष्म तत्व की उपलब्धता तथा क्रिया को भी प्रभावित करती है।

जिंक- फसल में प्रोटीन की मात्रा बनाए रखने वाले इस पोषक तत्व के कमी के लक्षण बुवाई के लगभग एक महीने बाद पत्तियों पर पीले धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं। इसके अलावा पौधों का झाड़ीदार दिखना और फसल में देर से बालियां बनने जैसे लक्षण भी फसल में जिंक की कमी को दर्शाते हैं।

गेहूं की प्रति एकड़ खड़ी फसल में जिंक सल्फेट @5 किलोग्राम का छिड़काव फसल में जिंक की कमी को दूर करने में मददगार है।

नाइट्रोजन- गेहूं में  नाइट्रोजन की कमी के लक्षण बुवाई के 35 दिनों के भीतर शुरू होते हैं। नाइट्रोजन की कमी के लक्षण में पौधे के निचली पत्तियों का पीला पड़ना शामिल हैं। ये लक्षण पत्तियों में नोक की ओर से उभरते हुए आगे की ओर बढ़ते हैं और देखते ही देखते पूरी पत्तियों को घेर लेते हैं। अधिक संक्रमित पत्तियां मध्य में पीली एवं किनारों से भूरी झुलसी हुई दिखाई देती है।

गेहूं में नाइट्रोजन की कमी होने पर 19:19:19/ 20:20:20 @5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

पोटेशियम- गेहूं में पोटेशियम के लक्षण बुवाई के लगभग 50 दिनों के उपरांत परिपक्व पत्तियों पर देखने को मिलते हैं। फसल में पोटेशियम की कमी पत्तियों के किनारों पर दिखनी शुरू होती है और पत्तियों की निचले भाग की ओर बढ़ती है जबकि पत्तियों में मध्य भाग हरा ही रहता है। गेहूं में पोटेशियम की अधिक कमी के कारण कल्लो पर बालियां न आने और दाने न बनने जैसी समस्याएं देखने को मिलती है।

गेहूं की फसल में पोटेशियम की पूर्ति के लिए पोटेशियम नाइट्रेट (13:00:45) @5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

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गेहूं की फसल में दानों की मात्रा बढ़ाने के लिए समय-समय पर उर्वरक प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कारक है। जिसके लिए आप बुवाई के समय पर देहात स्टार्टर और बूस्ट मास्टर जैसे प्रभावी उत्पाद प्रयोग में ला सकते हैं। फसल में आने वाली किसी भी प्रकार की समस्या की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए टॉल फ्री नंबर 1800 1036 110 के माध्यम से देहात के कृषि विशेषज्ञों से जुड़कर उचित सलाह लें और समय पर अपने फसल का बचाव करें। आप अपने नज़दीकी देहात केंद्र से जुड़कर और हाईपरलोकल सुविधा से उर्वरक एवं कीटनाशक खरीद जैसी सुविधा का फायदा भी उठा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए जुड़े रहें देहात से।

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