आयरन से भरपूर पालक की खेती करने वाले किसान इसकी 1 बार बुवाई करके 5 से 6 बार कटाई कर सकते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियों में पालक का विशेष स्थान है इसमें आयरन के अलावा प्रोटीन, कैलोरीज, कार्बोहाइड्रेट, रेशा एवं कई अन्य खनिज तत्व पाए जाते हैं। इस कारण पालक की मांग बढ़ती ही जा रही है। अगर आप इसकी खेती करना चाहते हैं तो खेत तैयार करने की विधि यहां से देख सकते हैं।
खेत की तैयारी
खेत तैयार करते समय सबसे पहले 1 बार गहरी जुताई करें। गहरी जुताई के लिए मिट्टी पलटने वाली हल का प्रयोग कर सकते हैं।
इसके बाद 2 से 3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से हल्की जुताई करें।
आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 10 से 20 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।
अच्छी पैदावार के लिए खेत में नीम की खली का भी प्रयोग कर सकते हैं।
इसके अलावा प्रति एकड़ खेत में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस एवं 24 किलोग्राम पोटाश मिलाएं।
बीज की बुवाई के लिए मिट्टी का भुरभुरा होना बहुत जरूरी है। इसलिए जुताई के बाद खेत में पाटा अवश्य लगाएं।
बीज की बुवाई यदि कतारों में करनी है तो खेत में क्यारियां तैयार कर लें।
सभी क्यारियों के बीच 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
बीज की बुवाई 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई में करें।
बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करना जरूरी है।
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