पालक आयरन का एक अच्छा स्रोत है। इसके साथ ही इसमें प्रोटीन, कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, आदि पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। इसकी खेती भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, आदि राज्यों में बड़े पैमाने पर पालक की खेती की जाती है। इसकी खेती गर्मी के मौसम के साथ ठंड के मौसम में एवं वर्षा के मौसम में भी की जा सकती है। बेहतर पैदावार के लिए इसकी खेती से पहले कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए पालक की खेती का सही समय एवं इसकी उन्नत किस्मों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
पालक की खेती के लिए उपयुक्त समय
इसकी बुवाई के लिए सितंबर से नवंबर तक का महीना उपयुक्त है।
इसके अलावा जनवरी-फरवरी महीने में एवं जून जुलाई महीने में भी पालक की बुवाई की जा सकती है।
पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी बुवाई अप्रैल से जून महीने तक की जाती है।
बीज की मात्रा
प्रति एकड़ भूमि में खेती करने के लिए 6 से 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
पालक की उन्नत किस्में
अर्का अनुपमा : यह अधिक पैदावार देने वाली संकर किस्म है। बीज की बुवाई के करीब 40 दिनों बाद पहली कटाई कर सकते हैं। इसकी कटाई 4 से 5 बार तक की जा सकती है। इस किस्म के पौधों की पत्तियां बड़ी एवं चौड़ी होती है। पत्तियां गहरे हरे रंग की होती है। पत्तियों पर डंठल देर से बनते हैं। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर प्रत्येक कटाई से 4 टन पालक की पैदावार होती है।
पूसा ज्योति : यह अधिक पैदावार देने वाली किस्मों में शामिल है। यह किस्म अगेती एवं पछेती बुवाई के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की पत्तियां चौड़ी एवं आकार में बड़ी होती है। पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं। बीज की बुवाई के करीब 45 दिनों बाद फसल की पहली कटाई की जा सकती है। एक बार फसल लगाने के बाद 7 से 10 बार तक कटाई की जा सकती है। प्रति एकड़ खेत से करीब 18 टन पालक का उत्पादन होता है।
ऑल ग्रीन : ठंड के मौसम में खेती करने के लिए यह उपयुक्त किस्म है। इस किस्म के पत्ते चौड़े एवं मुलायम होते हैं। बुवाई के करीब 35 से 40 दिनों बाद फसल की पहली कटाई की जा सकती है। पहली कटाई के बाद हर 15 दिनों के अंतराल पर फसल की कटाई की जा सकती है। एक बार बुवाई करने के बाद 5 से 7 बार तक फसल की कटाई की जा सकती है।
हिसार सिलेक्शन 23 : यह जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में शामिल है। इस किस्म की पत्तियां आकार में बड़ी एवं गहरे हरे रंग की होती हैं। बीज की बुवाई के करीब 30 दिन बाद फसल की पहली कटाई कर सकते हैं। इसके बाद हर 15 दिनों के अंतराल पर फसल की कटाई की जा सकती है। प्रति एकड़ खेत से करीब 14 टन उत्पादन होता है।
इन किस्मों के अलावा हमारे देश में पालक की कई अन्य किस्मों की खेती भी सफलतापूर्वक की जाती है। जिनमें जोबनेर ग्रीन, पंजाब सिलेक्शन, पंजाब ग्रीन, पूसा हरित, पूजा भारती, हाइब्रिड एफ 1, आदि किस्में शामिल हैं।
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