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नींबू : सिट्रस कैंकर बीमारी की पहचान कर, समय पर करें बचाव

नींबू : सिट्रस कैंकर बीमारी की पहचान कर, समय पर करें बचाव

नींबू के फल में अनेक पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। अभी हाल ही में नींबू के दाम आसमान छू रहे हैं। इसका एक कारण है नींबू में लगने वाले रोग एवं कीट। इनका सही समय पर नियंत्रण न किया जाए तो नींबू की फसल पर बुरा प्रभाव पड़ता है। नींबू में लगने वाले अनेक कीटों एवं बिमारियों में से एक है सिट्रस कैंकर रोग।

यह बीमारी नींबू के पौधे या पेड़ को प्रभावित करती है। इसके प्रभाव से पौधे से पत्तिया गिरने लगती है। इसके प्रभाव से उत्पादन में कमी होती है। तो चलिए जानते हैं किसान कैसे इस बीमारी से अपने पौधे को बचा सकते हैं। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
सिट्रस कैंकर बीमारी क्या है?

  • यह बीमारी जैथोमोनस एक्सोनोपोडिस जीवाणु के कारण होता है।

  • इस बीमारी से नींबू की उपज 5 से 35 प्रतिशत तक कम हो जाती है।

  • यह रोग पत्तियों, टहनियों, शाखाओं और फलों को प्रभावित करता है।

  • बीमारी के कारण नींबू की पत्तियां गिरने लगती है और ज्यादा प्रकोप होने पर पौधा मर जाता है।

बीमारी के लक्षण

  • यह बीमारी सबसे पहले पेड़ की पत्तियों पर छोटे पीले रंग के धब्बों के आकार में दिखाई देती है।

  • इसके बाद ये धब्बे कठोर छालों में बदल जाते हैं।

  • यह छाले एक विशेष प्रकार के पीले घेरे में रहते हैं।

  • कैंकर रोग के ये छाले फल के छिलके तक ही फैलते हैं।

  • यह रोग फल के गुद्दे तक नहीं पहुंचता है।

  • कैंकर रोग से प्रभावित फलों का मूल्य बाजार में कम हो जाता है।

कैंकर बीमारी को नियंत्रण में करने के उपाय

  • बीमारी से प्रभावित गिरे हुए पत्तों और टहनियों को इकट्ठा करके जला दें।

  • नए पौधे के रोपण के समय रोग मुक्त नर्सरी स्टाक का उपयोग करें।

  • रोपण से पहले दो ग्राम ब्लाइटक्स 50 को प्रति लीटर पानी में एवं स्ट्रेप्टोसाइकिलिन की एक ग्राम प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिड़काव करें।

  • बोर्डो मिश्रण एवं ताम्र युक्त कवकनाशी 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल के साथ छिड़काव करें।

  • मानसून के शुरू होने से पहले प्रभावित पौधों के हिस्सों की कटाई-छंटाई करें।

  • नए फूल आने के तुरंत बाद ब्लाइटाक्स 50 स्ट्रेप्टोसाइकिलिन का छिड़काव करना चाहिए।

  • समय पर सिंचाई करें।

  • उर्वरक और खाद का ध्यान रखें। समय पर उचित मात्रा में खाद का प्रयोग करें।

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आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और नींबू की खेती में समय से सिट्रस कैंकर की बीमारी पर नियंत्रण कर फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। इससे संबंधित यदि आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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