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मूली
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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मूली : वर्षा के मौसम में करें इन किस्मों का चयन

मूली : वर्षा के मौसम में करें इन किस्मों का चयन

मूली एक ठंडी तासीर वाली फसल है, जिसमें विटामिन ए और सी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही कब्ज जैसी बीमारियों में लाभदायक होने के कारण बाजार में इसकी मांग बनी हुई रहती है। भारत में मूली की खेती लगभग तीनोंं ही मौसम में की जाती है। जिसके लिए अलग-अलग मौसमों के आधार पर मूली की किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। बरसात के मौसम में मूली की उन्नत किस्म के चयन से जुड़ी जानकारी यहां से देखें।

  • पूसा चेतकी : पूसा चेतकी कम तीखी और मुलायम जड़ वाली किस्म है, जो केवल 40 से 45 दिन में तैयार हो जाती है। मूली की लंबाई 15 से 20 सेंटीमीटर तक होती है। इस किस्म की बुवाई के लिए उपयुक्त समय अप्रैल से अगस्त तक का होता है।

  • पूसा देशी : इस किस्म की मूली ऊपर से मोटी और नीचे से पतली होती है। मूली तीखी और केवल 40 से 55 दिन में ही तैयार हो जाती है। इस किस्म की बुवाई का उचित समय जुलाई से अक्टूबर का होता है।

  • बोनस आर 33 : यह चेतकी समूह की संकर किस्म है। इसका गूदा कम तीखा व सफेद रंग का होता है। इसकी सतह चिकनी होती है। यह किस्म बुवाई के 30-35 दिनों बाद तैयार हो जाती है। इस किस्म की बुवाई के लिए मार्च से सितंबर का समय उपयुक्त होता है।

  • आर 44 : यह चेतकी समूह की संकर किस्म है। इस किस्म की मूली की लंबाई 30 से 35 सेंटीमीटर और मूली नीचे से पतली होती है। मूली की परत सफेद और चिकनी होती है, जो केवल 30 से 35 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की बुवाई का उपयुक्त समय मार्च से सितंबर तक का होता है।

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