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मूली में बढ़ता रस चूसक कीटों का प्रकोप, जानें नियंत्रण के तरीके
मूली में बढ़ता रस चूसक कीटों का प्रकोप, जानें नियंत्रण के तरीके
मूली में कई तरह के रस चूसने वाले कीटों का प्रकोप होता है। जिनमें माहू, थ्रिप्स, सफेद मक्खी, आदि शामिल है। यह मूली की पत्तियों का रस चूस कर पत्तों को पीला करने का कारण बनते हैं। यह हरे एवं सफेद रंग के छोटे कीट होते हैं जो सीधे तौर पर फसल के उत्पादन पर अपना असर डालते हैं। यह कीट फसल की बढ़वार से लेकर फलियां बनने तक पौधे को प्रभावित करते हैं। इन कीटों का प्रकोप होने पर मूली, शलजम, सरसों, बैंगन, मिर्च, टमाटर, लौकी, आदि की गुणवत्ता कम हो जाती है। अगर आप भी मूली में लगे रस चूसक कीटों के उपाय ढूंढ रहे हैं तो यह जानकारी आपके लिए सहायक सिद्ध हो सकती है।
मूली की फसल में रस चूसक कीटों से होने वाले नुकसान
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यह कीट पौधों की पत्तियों, तना, शाखाओं, फूल एवं फलों का रस चूसते हैं।
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जिससे पत्तियां ऊपर या नीचे की तरफ मुड़ने लगती हैं।
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कुछ समय बाद पत्तियां पीली होने लगती हैं।
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रस चूसक कीटों का प्रकोप बढ़ने पर पौधे कमजोर होने लगते हैं।
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कई बार पौधों में फल-फूल नहीं बनते हैं।
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सफेद मक्खी जैसे रस चूसक कीट चिपचिपे पदार्थ का भी स्राव करते हैं। जिससे फफूंद जनित रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
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यह कीट रोगों को एक पौधे से दूसरे पौधों में फैलाने का भी काम करते हैं।
मूली में रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के उपाय
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इस कीट के नियंत्रण के लिए मैलाथियान 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से लाभ मिलता है।
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4 प्रतिशत नीम गिरी के घोल में किसी चिपकने वाला पदार्थ जैसे चिपको या स्टीकर के साथ छिड़काव करने माहू से निजात पाया जा सकता है।
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माहू कीट से फसल को बचाने के लिए किसानों को एक लीटर नीम का तेल प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
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यदि कीट का प्रकोप ज्यादा हो तो डायमेथोएट नामक कीटनाशक की 250 मिलीलीटर मात्रा प्रति एकड़ छिड़काव कर देने से कीट का नियंत्रण प्रभावी रूप से हो जाता है।
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इमिडाक्लोप्रिड का 0.5 मिलीलीटर को 1 लीटर पानी के साथ छिड़काव करना चाहिए।
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