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डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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मूली की फसल में सड़न के कारण एवं बचाव के सटीक उपाय

मूली की फसल में सड़न के कारण एवं बचाव के सटीक उपाय

मूली के सड़ने एवं गलने की समस्या से फसल का भारी नुकसान होता है। मूली में सड़न होने के कई कारण होते हैं। जिनमे कुछ रोगों का प्रकोप एवं खेत में जल जमाव की स्थिति भी शामिल है। इस समस्या से बचने के लिए कुछ समय के अंतराल पर खेत का निरिक्षण करते रहें। इससे हम समय रहते मूली की फसल को सड़ने से बचा सकते हैं। आइए मूली की फसल में सड़न रोग पैदा करने के कारण एवं नियत्रण के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

  • अत्यधिक सिंचाई : कई बार आवश्यकता से अधिक मात्रा में सिंचाई करने से खेत में पानी जमा हो जाता है। ऐसे में मूली की फसल में सड़न होने की संभावना बढ़ जाती है। इस समस्या से बचने के लिए एक निश्चित अंतराल पर एवं उचित मात्रा में सिंचाई करें। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।

मूली में सड़न पैदा करने वाले कुछ प्रमुख रोग

  • जड़ गलन रोग : इस रोग को आर्द्र गलन, डैम्पिंग ऑफ, आदि नामों से भी जाना जाता है। यह एक मृदा जनित रोग है। आमतौर पर यह रोग नर्सरी में लगने वाले छोटे पौधों में होता है। लेकिन कई बार मुख्य खेत में लगाईं गई फसल भी इस रोग के कारण नष्ट हो जाती है। इस रोग से प्रभावित पौधों की जड़ें गलने लगती हैं। चिकनी मिट्टी में अधिक नमी होने पर इस रोग का प्रकोप बढ़ जाता है। मूली एक जड़ वाली फसल है इसलिए इस रोग के कारण फसल को भारी क्षति पहुंचती है। पौधों को इस रोग से बचाने के लिए बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. से उपचारित करें। खड़ी फसल में रोग के लक्षण नजर आने पर प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम मिला कर छिड़काव करें।

  • जीवाणु गीला सड़न रोग : मूली के अलावा इस रोग से गाजर, शलजम, आदि कई अन्य जड़ वाली फसलें भी प्रभावित होती हैं। इस रोग से प्रभावित पौधों की ऊपरी पत्तियां पीली हो कर सूखने लगती हैं। कई बार मूली के फलों पर धब्बे उभरने लगते हैं। इस रोग से बचने के लिए 15 लीटर पानी में 25 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करें।

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