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मूली
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
3 year
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मूली की उन्नत किस्में

मूली की उन्नत किस्में

मूली की खेती के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए। जिससे हमें अधिक पैदावार के साथ स्वादिष्ट मूली प्राप्त हो सके। यहां से आप मूली की कुछ उन्नत किस्में , पैदावार, फसल तैयार होने की अवधि आदि जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं।

कुछ प्रमुख किस्में :

  • पूसा चेतकी : इसकी खेती पूरे भारत में की जा सकती है। प्रति एकड़ खेत से 100 क्विंटल फसल की उपज होती है। गर्मी के मौसम में इसकी जड़ें कम तीखी होती हैं। जड़ों की लंबाई 15 से 22 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म की मूली सफेद, नरम और मुलायम होती है। फसल को तैयार होने में 40 से 50 दिनों का समय लगता है।

  • पूसा हिमानी : इसकी जड़ें लंबी, सफेद और कम तीखी होती हैं। फसल को तैयार होने में 50 से 60 दिन समय लगता है। इसकी बुवाई के लिए अक्टूबर का महीना सर्वोत्तम है। प्रति एकड़ जमीन से 128 से 140 क्विंटल मूली की पैदावार होती है।

  • जापानी सफेद : इस किस्म की मूली की जड़ें 15 से 22 सेंटीमीटर बेलनाकार, कम तीखी, चिकनी एवं स्वाद में मुलायम होती है। इसकी बुवाई के लिए 15 अक्तूबर से 15 दिसंबर तक का समय सर्वोत्तम होता है। बुवाई के 45 से 55 दिन बाद फसल की खुदाई की जा सकती है। प्रति एकड़ जमीन से 100 से 120 क्विंटल मूली की उपज होती है।

  • पूसा रेशमी : इसकी जड़ें 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी होती है। इसकी पत्तियों का रंग हल्का हरा होता है। इस किस्म की बुवाई मध्य सितम्बर से अक्टूबर तक करनी चाहिए। बुवाई के 55 से 60 दिन बाद फसल खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ खेत से 126 से 140 क्विंटल फसल की प्राप्ति होती है।

इसके अलावा मूली की कई अन्य किस्में हैं। जिनमें जौनपुरी मूली, पूसा देशी, पंजाब पसंद, हिसार मूली न 1, कल्याणपुर 1 आदि किस्में शामिल हैं।

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